दीपावली के पंचदिवसिय महा पर्व इस वर्ष १३ नवम्बर से शुरू हो रहे हैं, जानिए महालक्ष्मी को प्रसन्न करने की पूजन विधि, पर्व का महत्व, किस दिन कौन सी करें पूजा, पूजा विधान….

दीपावली के पँच दिवसीय महापर्व की आप सभी को अनन्त  शुभकामनाएँ। 

कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का महा निशित काल मनाया जाता है। इस वर्ष १३ नवम्बर २०२० से दीपावली का महापर्व शुरू हो रहा है जो १६ नवम्बर भाई दूज पर समाप्त होगा। इस वर्ष चतुर्दशी तिथि एवं अमावस्या तिथि एक साथ मनायी जाएगी जो की १४ नवम्बर को पड़ेगी।

शास्त्र अनुसार जब चतुर्दशी तिथि प्रातः काल  यानी सूर्योदय से पहले पड़ रही हो एवं उसी दिन अमावस्या तिथि सूर्यास्त के पश्चात हो तो दोनो को एक ही दिन मनाना  चाहिए। 

इस वर्ष चतुर्दशी तिथि १३ नवम्बर सायं ५:५९ से शुरू होकर १४ नवम्बर को दोपहर २:१७ मिनट तक रहेगी एवं अमावस्या तिथि १४ नवम्बर को दोपहर २:१८ मिनट से शुरू होकर १५ नवम्बर १०:३६ मिनट तक रहेगी।

उपरोक्त शास्त्र विवरण से चतुर्दशी एवं अमावस्या संध्या एवं रात्रि दीपावली पूजन १४ नवम्बर को मनाना ही उचित है। 

दीपावली के इस महापर्व के इन पाँच दिनो का तिथियों का विवरण निम्न प्रकार से है।

१३ नवम्बर के पर्व : 

धन तेरस , यम दीप, महालक्ष्मी एवं कुबेर पूजन, काली चौदस एवं हनुमान पूजन। 

त्रयोदशी तिथि : १२ नवम्बर रात्रि ९:३० मिनट से १३ नवम्बर साँय ५:५९ मिनट तक।

प्रदोष काल : साँय ५:२८ – रात्रि ८:०७ तक

वृषभ लग्न : साँय ५:३२ – ७:२८ तक

पूजा मुहूर्त – सायं काल : 5:28 pm – 5:59 pm ( Total duration : 30 minutes) 

हनुमान जी पूजन एवं काली चौदस रात्रि पूजन : १३ नवम्बर अर्ध रात्रि ११:३९ – १२:३२ (१४ नवम्बर) तक 

१४ नवम्बर के पर्व : 

नरक चतुर्दशी / चोटी दीपावली  एवं महा दीपावली 

चतुर्दशी तिथि : १३ नवम्बर संध्या काल ५:५९ से १४ नवम्बर दोपहर २:१७ मिनट तक,

अमावस्या तिथि : १४ नवम्बर दोपहर २:१८ मिनट से प्रातः १०:३६ मिनट ( १५ नवम्बर) तक ।

नरक चतुर्दशी तिथि अभ्यंग स्नान ( तिल के तेल से ऊबटन बना कर लगाएँ फिर स्नान करें) :

प्रातः  काल ५:२३ मिनट से प्रातः ६: ४३ मिनट तक 

महादीपावली पर्व पूजन मुहूर्त :

प्रदोष काल : साँय ५:२८ मिनट से रात्रि ८:०७ मिनट तक

वृषभ काल : साँय ५:२८ मिनट से ७:२४ मिनट तक

संध्या महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त / दीप प्रज्वल्लित मुहूर्त  विभिन्न स्थानों का  :

दिल्ली – 05:28 PM to 07:24 PM 

गुड़गाँव : 05:29 PM to 07:25 PM

मुंबई : 06:01 PM to 08:01 PM

पुणे : 05:58 PM to 07:59 PM 
चेन्नई : 05:41 PM to 07:43 PM
जयपुर : 05:37 PM to 07:33 PM 
हैदराबाद : 05:42 PM to 07:42 PM 
चंडीगढ़ : 05:26 PM to 07:21 PM
कोलकाता : 04:54 PM to 06:52 PM
बेंगलुरु : 05:52 PM to 07:54 PM
अहेमदाबाद :  05:57 PM to 07:55 PM
दीपावली महा निशीतकाल पूजन : 
11:59 pm (14th November) – 12:32 am ( 15th November) 
सिंह लग्न : 11:59 ( 14th November)  – 2:16 am ( 15th November )
१५ नवम्बर के पर्व :
गोवर्धन पूजन/ अन्नकूट पूजन/ बाली पड़वा :
प्रतिपदा तिथि शुरू : 10:36 am (15th November ) – 7:06 am ( 16th November).
साँय काल पूजन मुहूर्त : 3:19 pm – 5:27 pm 
१६ नवम्बर के पर्व : 
भाई दूज, यम द्वितीया 
द्वितीया तिथि शुरू प्रातः ७:०६ ( १६ नवम्बर) से  प्रातः ३:५६ ( १७ नवम्बर) तक
अपराह्न काल : दोपहर १:१० से ३:१८ मिनट तक। 

इस पूरे पंचदिवसों में महा लक्ष्मी के पूजन का विधान है एवं इन्हें गणपति एवं भगवान विष्णु के साथ पूजा जाता है। भगवान राम के रावण वध के पश्चात, १४ वर्ष के वनवास के बाद, अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में में भी दीप प्रज्वल्लित किए जाते हैं।

ये पंचदिवसीय महापर्व निम्न प्रकार से हैं : 

१ : धन तेरस / धन त्रयोदशी  : १३ नवम्बर 

१३ नवम्बर  को धन तेरस पड़ेगा। इस दिन धन रक्षक कुबेर देव की पूजा का विधान है। साथ ही में भगवान धनवांतरि ( जो सेहत के देवता हैं एवं समुद्र मंथन के समय अमृत के साथ प्रकट हुए थे) उनका पूजन भी किया जाता है।

इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य द्वार में दोनो तरफ़ दीप प्रज्वलित करें। पूजन स्थान पर कुबेर देवता को उत्तर दिशा पर स्थापित करें एवं भगवान गणपति, भगवान धनवांतरि, कुबेर देव, माता लक्ष्मी का स्मरण  कर पूजन करें तो वर्ष भर में सुख समृद्धि बनी रहती है एवं समस्त परिवारजन की अच्छी सेहत रहती है। पूजन सामग्री में पीली वस्तुएँ जैसे पीले फूल, हल्दी, पीले चावल, पीला चंदन, लड्डू आदि भोग  में अर्पित कर सकते हैं।

इस दिन स्वर्ण, आभूषण आदि ख़रीदने का विधान है एवं घर के लिए नए बर्तन आदि भी ख़रीदे जाते हैं। आज सबूत धनिया एवं गुड को प्रसाद स्वरूप भी चडाया जाता है।

धन तेरस में पूजन समय उपरोक्त लिखा है : 

निम्न मंत्रों का १०८ बार अवश्य करें जप :

” ॐ  धनवांतराय नमः ” ,

 “ॐ  धनकुबेराय नमः” /  “ॐ वित्तेश्वराय नमः “

“ॐ  श्रीं  श्रिये नमः “

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥ 

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धनवंतरि त्रयोदशी,  जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है।

यम दीपम : इसी दिन असामयिक मृत्यु से बचने के लिए  यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम  के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

घर में मुख्य द्वार पर यमराज के नाम का एक दीप अवश्य जलाएँ। उसमें एक सिक्का, कौड़ी, हल्दी, गोमती चक्र डाल कर दीप प्रज्वल्लित करें।  

आभूषण ख़रीदने की  शुभ चौघड़िया : 

प्रातः काल : 8:23 am – 9: 24 am (लाभ)

दोपहर  12:05 pm – 1:28 pm  तक (शुभ)

साँय काल : 4:08 pm – 5: 28 pm ( चर) 

काली चौदस एवं हनुमान पूजन :
मुख्यतः गुजरात प्रदेश में  काली चौदस/ भूत चौदस  कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की अर्ध रात्रि को मनायी जाती है। साथ ही  हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। 13 नवम्बर की ही रात्रि को माँ काली के पूजन एवं हनुमान जी का पूजन इस वर्ष रहेगा।
माना जाता है की इस नरक चतुर्दशी की अर्धरात्रि  को नकारात्मक शक्तियाँ पूर्ण जोर शोर से घूमंती हैं। इस समय माँ काली एवं हनुमान जी ( दोनो को ही कलयुग में जागृत स्वरूप में पूजा जाता है) की विशेष पूजा करने से घर परिवार में राज, शोक, दोष सभी से मुक्ति प्राप्त होती है एवं जीवन में सुख समृद्धि बड़ती है।
काली चौदस एवं हनुमान जी पूजन मुहूर्त – 11:39 pm ( 13th November)  – 12:32 am (14th November)

२ : नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली  :

१४ नवम्बर को नरक चतुर्दसी, रूप चौदस या छोटी  दीपावली मनाई जाएगी। 

अभ्यंग स्नान मुहूर्त – 5:23 am to 6:43 am ( 14th November)
अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व नरक चतुर्दशी, अमावस्या को माना जाता है। इस स्नान को नरक चतुर्दशी को करने का विशेष विधान है एवं अत्यंत शुभ माना जाता है। स्नान  में तिल का ऊबटन लगा कर फिर स्नान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

पौराणिक कथा :

इस दिन श्री कृष्ण ने नर्कसुर का वध कर सभी को उसके द्वारा किए गए नरक स्वरूप पापों से मुक्ति दिलवायी थी। नरकासुर ने १६००० युवतियों को अपने अधीन बंदी बना कर रखा था जिन्हें श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर मुक्त किया। उनसे औपचारिक विवाह कर उन्हें समाज में सम्मान की स्तिथी दिलायी।

इसी उपलक्ष्य में इस दिन दीप दान की विशेष परम्परा है।

आज रात्रि को यमराज के अलावा श्री काल भैरव की भी पूजा की जाती है। काल भैरव, शिव जी का रौद्र स्वरूप हैं। समस्त काशी इन्हें के अधीन है।  घर में दीप प्रज्वल्लित कर सभी देवी देवताओं का आहवाहन कर पूजन करें। शिव जी पर चवाल की खीर भी अर्पित करें।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी नरक चौदस को सायं-काल घर से बाहर नरक-निवृत्ति के लिए धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष-रुपी चार बत्तियों का दीपक यम-देवता के लिए सर्वप्रथम जलाना चाहिये।
इसके पश्चात् गो-शाला, देव-वृक्षों के नीचे, रसोई-घर, स्नानागार आदि में दीप जलाये। इस प्रकार ‘दीप-दान’ के बाद नित्य का पूजन करे।

३ : दीपावली महा रात्रि : 14 नवम्बर 

दीपावली के महापर्व की मुख्य रात्रि १४ नवम्बर की रात्रि को मनायी जाएगी। यह दिन समस्त विघ्नों को दूर करने वाली रात्रि है एवं माता लक्ष्मी का विधिवत पूजन करने से जीवन में अष्ट लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं पूरे वर्ष भर में घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी।

रात्रि के महा निशित काल में माता लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। उनके नाम का हवन करना एवं मंत्रों द्वारा विधिवत जप करने से माता लक्ष्मी की कृपा समस्त परिवार में बनी रहती है। गणपति एवं माता लक्ष्मी के साथ श्री हरी विष्णु जी, माँ सरस्वती, माँ काली, हनुमान जी एवं शिब जी के पूजन का भी विधान है।

पूजन मुहूर्त : इस ब्लॉग की शुरुआत में, उपरोक्त लिखा हुआ है। 

रात्रि के समय लक्ष्मी चालीसा या “श्री सुक्तम” का पाठ अवश्य करें। माता लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करने से वह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। कमल गट्टे की माला से पूजन करना विशेष कर शुभ होता है।
माता के किसी भी निम्न मंत्रों का जप कम से कम १०८ बार अवश्य करें :
१ : “ॐ श्रीं श्रिये नमः “
२ : “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः” 
३ : “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:”
४ : “ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ”
माता लक्ष्मी के मंत्रों के साथ भगवान गणपति के मंत्रों का भी जप करना चाहिए।
माता का कौड़ी, लौंग, इलाइची, गोमती चक्र, लघु नारियल, एकाक्षी नारियल, सिंदूर, काजल, दाहिनी शंख के साथ पूजन करना विशेषकर शुभ होगा।
माता लक्ष्मी-गणेश पूजा के अतिरिक्त इस दिन नवग्रह पूजन, षोडश मात्रिकाओं का पूजन,  कुबेर पूजन, माँ काली, माँ सरस्वती पूजन, दीप मालिका पूजन  एवं बही खाता पूजन भी किया जाता है।
काली पूजा :
बंगाल, उड़ीसा, असम में दीपावली के महा निशीथ काल में माँ काली का पूजन किया जाता है।

४ : गोवर्धन पूजन : १५ नवम्बर 

दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजन होता है। इस दिन भगवान कृष्ण का इंद्र देव पर विजय के उपलक्ष्य में पूजन किया जाता है।

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजन भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।

भगवान विष्णु की राजा बाली पर विजय उनके वामन अवतार द्वारा हुई थी। इसके पश्चात बाली को पाताल लोक में वास करना पड़ा था।  यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।

इसी दिन अमूमन गुजराती नव वर्ष भी पड़ता है।

५ : भाई दूज/ यम द्वितीया : १६ नवम्बर 

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है|  इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है|

पौराणिक कथा अनुसार यमराज ने अपने बहन यमुना को वचन दिया था कि जो भी भाई इस दिन अपने बहन के घर जा कर भोजन ग्रहण करेगा वह उनके संरक्षण में रहेगा एवं उसकी आकाल मृत्यु कभी नहि होगी।  यह पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है ।

भाई दूज तिलक मुहूर्त – दोपहर १:१० बजे से ३:१८ मिनट तक 

एक और पौराणिक कथा अनुसार, श्री कृष्ण  नरकासुर  का वध कर इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीय को द्वारका पहुँचे, इसी उपलक्ष्य में उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें तिलक लगा, फूल छड़ा कर, आरती कर,  कर उनका स्वागत किया। तभी से इस दिन भाई के मस्तक में तिलक लगाने की प्रथा चली है।

दीपावली में और भी कई निवारण आदि किए जाते हैं। आप हमारे youtube  channel  में उनसे सम्बंधित  विडीओ देख सकते हैं, जो आपके घर में सुख समृद्धि, यश वैभव लेकर आएँगे।

आपके एवं आपके परिवार पर माता लक्ष्मी एवं गणपति की विशेष कृपा बरसे एवं जीवन में सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो।

नन्दिता पाण्डेय – ज्योतिषाचर्या

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