24 जनवरी 2020 को शनी का मकर राशि में प्रवेश एवं इसका आपके जीवन में असर … । 

शनी का मकर राशि में प्रवेश एवं इसका आपके जीवन में असर। 

२४ जनवरी २०२० को ढाई वर्ष के लिए शनी देव धनु राशि से अपनी ही राशि मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह संयोग लगभग ३० वर्षों के पश्चात हो रहा है। शनी देव  धीरे धीरे किसी भी राशि में शनै शनै आगे बड़ते हैं एवं एक राशि में ढाई वर्ष का समय गोचर करते हैं।

शनी के राशि परिवर्तन से कई लोगों की शनी की साड़े साती समाप्त होगी, किसी की शुरू होगी एवं वही असर ढैय्या पर होगा। इस पूरे वर्ष यानी की २०२० में शनी का गोचर उत्तराआषाढ़ नक्षत्र में रहेगा। २०२० में मई से सितम्बर के मध्य शनि वक्री होंगे | अप्रैल से जून माह में गुरु का मकर राशि में प्रवेश रहेगा जो उनकी नीच राशि है लेकिन स्वरशि शनी के साथ गुरु नीचभंग राज योग भी बनाएँगे।

कौन सी राशियों में रहेगा शनी की ढैय्या एवं साड़े साती का असर : 

शनि एक राशि में धैय वर्ष रहते हैं। शनि की साड़े साती जीवन में अमूमन ३ बार आती है। पहली बार की सादेसाती को लौ पद की साड़े साती बोली जाती है, दूसरी बार की साड़े साती रजत पद की होती है एवं अंतिम साड़े साती स्वर्ण पद की होती है। यानी की अगर आप पहली बार भोग रहे हैं तो आपक एपरिवार या माता पिता पर अधिक रहता है। द्वित्य चरण की साड़े साती आपके ख़ुद के भोगने के लिए होती है एवं यह आपको कर्म करने के लिए प्रयासरत रहना पड़ता है। धन हानि, मानसिक कष्ट, परिवर्तन, रोग आदि होते हैं। आख़िरी यानी की तीसरी बार साड़े साती आपको राजा के समान सम्मान लेकर आती है, यह स्वर्ण पद की होती, शनी देव इस आख़िरी चरण में आपको सुख एवं सम्मान लेकर आते हैं।

साड़े साती समाप्त : वृश्चिक राशि 

साड़े साती के आख़िरी पड़ाव में ( पाँव ): धनु राशि 

साड़े साती के मध्य भाग ( हृदय) : मकर राशि 

साड़े साती शुरू होगी ( सिर) : कुम्भ राशि।

ढैय्या की राहत ; वृषभ एवं कन्या राशि 

ढैय्या का प्रभाव : मिथुन एवं तुला राशि। 

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शनी वायु तत्व हैं एवं विधि के कारक हैं, कर्म के कारक हैं, कोर्ट कचहरी एवं लोक समाज कल्याण के कारक हैं। इस जन्म में आपके पिछले जन्मों के संचित कर्मों को ठीक करने के लिए आपको प्रयासरत करते हैं।

शनी के प्रभाव में जातक को परिवर्तन कि योग का सामना करना पड़ता है, आपको अपने comfort  zone से हटा कर किसी नए स्थान पर कर्म करवाना, किसी प्रिय से बिछड़ाव होना, तनाव बडना, नाड़ियों/स्पाइन में कष्ट , क़र्ज़, कन्फ़्यूज़न, रोग आदि  यह सब शनी के प्रभाव में होता है वह भी विशेषकर जब आप साड़े साती के प्रभाव में हों।

शनी सूर्य के पुत्र तो हैं लेकिन सूर्य के साथ उनका छत्तीस का आँकड़ा रहता है। शनी अपनी माता छाया के वे बेहद क़रीब माने जाते हैं। इसीलिए शनी को शांत करने के लिए अपनी माता की सेवा अवश्य करनी चाहिए।

शनी के गोचर का आंकलन करने के लिए कई सूत्रों का ध्यान करने की आवश्यकता है। शनी के गोचर के अलावा आपकी कुंडली में ग्रहों का बल विशेषकर लग्न, चंद्र एवं शनी का बल, दशा- अंतर्दशा का फल (विशेषकर शनी की दशा अंतर्दशा ) , गोचर के समय चंद्रमा की स्तिथी, शनी के नक्षत्र की अवधि आदि भी शनी के गोचर को प्रभावित करते हैं।

आप को अगर अपने ऊपर होने वाले इस गोचर के प्रभाव के बारे में पता करना है तो आप हमें सम्पर्क कर सकते हैं।

विभिन्न राशियों  में शनी के गोचर का प्रभाव निम्न रूप से रहेगा: 

मेष राशि : ( कुंडली में चंद्रमा १ नम्बर के साथ हो) :

शनी का गोचर आपके दशम भाव में रहेगा एवं शनी की दृष्टि आपके बारहवें, चतुर्थ, एवं सप्तम भाव में रहेगी। केंद्र में शनी का अपनी ही राशि में प्रवेश शश नामक राज योग बनाता है। पत्रक सम्पत्ति का लाभ प्राप्त होगा। जीवन्न में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे एवं इस गोचर के द्वारा आपके लिए विशेषकर राजयोग बन रहे हैं। मेहनतकश समय तो रहेगा लेकिन विपरीत स्तिथियों का सामना कर विजय भी प्राप्त करेंगे। गुरु का गोचर भी इस समय आपके लिए अनुकूल प्रभाव लेकर आ रहा है एवं भाग्योन्नती  करवाएगा। विदेश गमन की स्तिथियाँ बनेंगी। विवाह आदि के भी संयोग इस गोचर की मदद से बनेंगे, जीवन साथी के साथ सम्बंध मधुर रहेंगे। लेकिन शनी की सप्तम दृष्टि, पारिवारिक सुख में थोड़ा कमी लेकर आएगी।

उपाय : बिच्छु बूटी को पूजित कर धारण करें। ” ॐ  शं  शनैचचराय नमः ” का रोज़ १०८ जप करें 

वृषभ राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा २ नम्बर के साथ हो) :

आपके लिए शनी का गोचर भाग्य भाव में हो रहा है। बड़े बुज़ुर्गों का आशीर्वाद आपके लिए शुभ परिणाम लेकर आएँगे एवं सुख समृद्धि भी प्राप्त होगी। भाग्य उन्नति के विशेष संयोग बनेंगे एवं अपने इष्ट एवं अपने पूर्वजों का स्मरण कर कोई भी काम करेंगे तो अवश्य सफलता प्राप्त करेंगे। आपको विरासत में भी कुछ इस गोचर के अंतर्गत प्राप्त हो सकता है। प्रॉपर्टी आदि द्वारा भी फ़ायदे होंगे लेकिन थोड़ा सा वाद विवाद के पश्चात आपके लिए शुभ होगा। भाग्य स्थान का स्वामी शनी एकादश भाव पर पूर्ण दृष्टि डाल रहे हैं जिस वजह से उत्तम स्तिथी बनेंगी एवं लाभ एवं वृद्धि के शुभ संयोग बनेंगे। शनी की दृष्टि भी इस गोचर के अंतर्गत आपके लिए शुभ संयोग बनाएँगी। प्रॉपर्टी द्वारा लाभ होगा। सेहत में सुधार आएँगे एवं आपके जून्यर्ज़ भी आगे बड़ कर आपकी मदद करेंगे। आलस्य को त्याग कर आगे बदने की कोशिश करेंगे तो अच्छे परिणाम सामने आएँगे। आपके मित्र गण के साथ सम्बंध विच्छेद हो सकते हैं या तनाव की स्तिथियाँ बड़ सकती हैं।

उपाय : विकलांग व्यक्तियों के सुधार के लिए कार्य करें, शमी के पेड़ की जड़ में सरसों के तेल का दीपक जलाएँ। 

मिथुन राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ३ नम्बर के साथ हो) :

मिथुन राशि वालों के लिए शनी का गोचर अष्टम स्थान पर रहेगा जिस वजह से आप शनी की ढैय्या को भोगेंगे। शनी की दृष्टि कर्म स्थान पर, धन स्थान पर एवं पंचम भाव पर रहेगी। यह समय आपके लिए थोड़ा कष्टकारी रहेगा एवं काफ़ी मेहनत कर किसी भी मुक़ाम को हासिल करने में सक्षम रहेंगे। कार्य क्षेत्र में हालाँकि कुछ फ़ायदे होंगे। अगर आप व्यवहारकुशल एवं वाक्पटु रहेंगे तो आपके बॉस आपको फ़ेवर कर सकते हैं। अष्टम स्थान पर स्वरशि का शनी होने से आपको रीसर्च आदि से समबंधित, ज्योतिष, ध्यान – योग, तंत्र मंत्र से सम्बंधित रुचि बड़ेगी एवं सफलता भी प्राप्त करेंगे। लेकिन भाग्य का स्वामी अष्टम में जाने से भाग्य में कमी रहेगी। आप जितना अधिक अंतर्दृष्टिगत रहेंगे उतना सुकून प्राप्त करेंगे। इस समय क़र्ज़ बड़ सकते हैं एवं वाणी में कटुता भी आचानक से आ सकती है। इस समय कुछ नया सीखने का मन अवश्य बनाएँगे। संतान सम्बंधित सफलता प्राप्त हो सकती है लेकिन कुछ कठिनाइयों के पश्चात होंगी।

उपाय : किसी ग़रीब को शनी की सामग्री – तिल, सरसों का तेल, सवा मीटर काला कपड़ा , लोहा, लौंग आदि दान में दें। 

कर्क  राशि : ( कुंडली में  लग्न या चंद्रमा ४ नम्बर के साथ हो) :

शनी का गोचर आपके सप्तम भाव में रहेगा। शनी की दृष्टि आपके भाग्य स्थान पर, लग्न पर एवं चतुर्थ भाव में रहेगा। भाग्य में उन्नति होगी एवं धर्म कर्म के कार्यों में रुचि बड़ेगी। इस गोचर के अंतर्गत आप काफ़ी छोटी मोटी  यात्राएँ करते रहेंगे। कर्क लग्न में शनी की दृष्टि आपके लिए मानसिक कश्मकश बड़ा सकती है एवं किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए कर्म से ज़्यादा आपका समय सोच विचार में व्यतीत होगा। घर परिवार में कुछ विशेष शुभ फलदायी रहेगा। वैवाहिक जीवन में कुछ मतभेद होने के बावजूद आपसी रिश्ते सुदृढ़ होते जाएँगे।  अगर आप सिंगल हैं तो विवाह के भी योग बन रहे हैं।  घर में रेनोवेशन हो सकते हैं एवं कोई नया वाहन भी इस समय ख़रीद सकते हैं। भाग्य स्थान पर शनी की दृष्टि आपका रुझान अध्यात्म की तरफ़ बड़ाएगी एवं हो सकता है की इस समय आपपर किसी गुरु की कृपा भी बने। व्यापार के लिए समय अनुकूल रहेगा एवं सफलता प्राप्त करेंगे।

उपाय : एक नारियल को काले कपड़े में बाँध कर अपने से सात बार उतारा कर शनी मंदिर में अर्पित  करें। 

सिंह  राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ५ नम्बर के साथ हो) :

शनी का गोचर आपके छठे घर पर हो रहा है जो शनी की उत्तम स्तिथी होती है। शनी की दृष्टि आपके अष्टम स्थान पर, बारहवें स्थान पर एवं तृत्य स्थान पर रहेगी। रोज़ाना के काम आसानी से पूर्ण होते जाएँगे। बेवजह के वाद विवाद से बचें एवं अगर अपने आलस्य को छोड़ दें तो ज़बरदस्त तरक़्क़ी  प्राप्त हो सकती है। नौकर-चाकर द्वारा भी आपके लिए शुभ संयोग बनेंगे एवं आपका सप्पोर्ट सिस्टम इस समय अत्यंत अनुकूल होता जाएगा। क़र्ज़ आदि से मुक्ति मिलेगी। कोर्ट कचहरी के मसले भी आपके अनुकूल परिणाम देंगे। अध्यात्म की तरफ़ विशेष रुचि आपकी भी रहेगी। विदेश गमन की स्तिथियाँ तो बन रही हैं लेकिन यात्राओं के दौरान कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। छोटे भाई बहनों के साथ सम्बंध सुदृढ़ होंगे एवं आप अपनी व्यवहार कुशलता  के द्वारा बहुत कुछ हासिल करने में सक्षम रहेंगे। मित्र गण का सहयोग प्राप्त होगा, लेखन कार्यों में भी इस समय रुचि बड़ेगी एवं अपनी लेखनी के बल पर भी आप सफलता हासिल करेंगे।

उपाय : शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का दीपक जलाएँ। 

कन्या राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ६ नम्बर के साथ हो) :

शनी का गोचर आपके पंचम भाव में हो रहा है। आप अब शनी की ढैय्या से मुक्त हो चुके हैं। समय के साथ जीवन में बहुत कुछ सकरात्मक बदलाव होते जाएँगे। शनी की दृष्टि सप्तम भाव पर, एकादश भाव पर एवं धन भाव पर रहेगी। शनी के पंचम भाव में अपनी ही राशि में प्रवेश आपके लिए विद्या आदि में विशेष सफलता लेकर आएगा। कोई competetion या इंटर्व्यू अगर आप देने जा रहे हैं तो सफलता प्राप्त करेंगे। आपके लिए विवाह के भी योग बन रहे हैं। लव लाइफ़ में भी इस समय काफ़ी अनुकूल स्तिथियाँ बनती जाएँगी एवं आप में से काफ़ी प्रेमी जोड़े इस समय विवाह के बंधन में बंधेंगे। प्रॉपर्टी आदि द्वारा फ़ायदा तो होगा लेकिन कोई भी चीज़ आसानी से नहीं प्राप्त होगी एवं संघर्ष करना पड़ेगा। धन भाव में शनी की मित्र राशि में दृष्टि धन आगमन के शुभ संयोग बना रही है। कूटुंब में यश एवं सम्मान बड़ेगा।

उपाय : शनिवार को चिमटा दान करें एवं किसी ग़रीब को जुटे दान में दें। 

तुला  राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ७ नम्बर के साथ हो) :

तुला राशि वालों के लिए शनी का गोचर आपके चतुर्थ भाव में रहेगा एवं आपके लिए ढैय्या के आगमन का संकेत लेकर आएगा। संघर्षों के पश्चात कुछ सफलता अवश्य प्राप्त होगी। घर में कुछ नयापन लेकर आ सकते हैं। वाहन आदि भी ख़रीद सकते हैं। परिवार से समबंधित विरक्ति रहेगी। आपके लग्न पर शनी की दृष्टि आपके लिए शुभ संकेत लेकर आएगी। यश एवं सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। मानसिक अंतर्द्वंद चलता रहेगा लेकिन आप अपनी दूरदृष्टि द्वारा काफ़ी विपरीत स्तिथियों का हल निकालने में सक्षम रहेंगे। सेहत में भी आपको काफ़ी सुधार प्राप्त होगा। स्थान परिवर्तन के शुभ संयोग बनेंगे। शत्रुता समाप्त होगी एवं अपने ऊपर कॉन्फ़िडेन्स बड़ेगा। कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त करेंगे।

उपाय : शनी के तंत्रिक मंत्र का जप करें। माँ की सेवा करें। 

वृश्चिक राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ८ नम्बर के साथ हो) :

आपके लिए यह समय अत्यंत अनुकूल स्तिथियाँ लेकर आएगा। आपकी शनी की साड़े साती समाप्त हो रही है एवं जीवन में एक भारीपन या अत्यधिक कर्मठता की समाप्ति होगी एवं राहत की साँसे लेंगे। शनी का गोचर आपके तृत्य भाव में हो रहा है जो शनी का प्रबल स्थान माना जाता है। अपनी व्यवहार कुशलता द्वारा आप बहुत कुछ हासिल कर पाएँगे। मेहनत करेंगे एवं फल भी अच्छा मिलेगा। स्थान परिवर्तन द्वारा आपके लिए विशेष फलदायी संयोग बनेंगे। लेखन कार्य में विशेष रुचि बड़ेगी। छोटे भाई बहनों के साथ अच्छे सम्बंध होंगे। रुके हुए काम अब पूरे होने लगेंगे। शनी की तृत्य दृष्टि आपके संतान के घर में हो रही है। संतान से सम्बंधित शुभ समाचार प्राप्त होगा लेकिन फिर भी एक मानसिक तनाव इस मामले में बनें रहेंगे।  भाग्य भाव में सप्तम दृष्टि विशेष फल दायीं नहीं है तो आप के लिए कोई भी वृद्धि  आपकी अपनी मेहनत के द्वारा प्राप्त होगी। लाभ भाव में शनी की मित्र दृष्टि, आपके जीवन में लाभ के संकेत लेकर आ रहा है। नयी प्रॉपर्टी बन सकती है या फिर प्रॉपर्टी द्वारा द्वारा भी आपको शुभ फल प्राप्त होगा।

उपाय : हनुमान जी को चोला चड़ाएँ। हनुमान अशतक का पाठ करें। 

धनु राशि : ( कुंडली में लग्न या  चंद्रमा ९ नम्बर के साथ हो) :

शनी के इस गोचर से आप साड़े साती के आख़िरी पड़ाव में जा रहे हैं। यह उतरती साड़ेसाती आके लिए शुभ परिणाम लेकर आएगी। पिछले कूच वर्ष आपके लिए अत्यंत कठिन रहे हैं, आब शनै-शनै जीवन में राहत महसूस करने लगेंगे। धन भाव में शनी का अपनी ही राशि में प्रवेश आपके लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा एवं धन वृद्धि के शुभ संयोग प्राप्त होंगे। कूटुंब में भी मान सम्मान बड़ेगा। यात्राओं द्वारा लाभ प्राप्ति होगी। परिवार में कुछ विरक्ति रहेगी लेकिन अपने घर में कुछ नयापन लेकर आने की इच्छा रहेगी एवं इस तरफ़ कार्य रात भी रहेंगे। साड़े साती के यह आख़िरी ढाई वर्ष आपके पाँव में तकलीफ़ लेकर आ सकते हैं। बेवजहें चोटें लग सकती हैं एवं वाहन आदि को भी आपको सम्भाल कर चलना चाहिए। स्वास्थ्य समबंधित परेशानी बड़ेंगी। शनी की एकादश भाव में दृष्टि, किसी नयी प्रॉपर्टी को ख़रीदने के भी शुभ सान्यो बना रहे हैं। जीवन में तरक्की एवं लाभ अवश्य होगा।

उपाय : बजरंग बाण का पाठ करें। तिल के तेल का दीपक जलाएँ। 

मकर राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा १० नम्बर के साथ हो) :

शनी का आपके लग्न में अपनी ही राशि  में प्रवेश आपके लिए विशेष शुभ संयोग बनाएगा। वैसे तो आप साड़े साती के मध्य भाग में रहेंगे लेकिन लगनाधिपति का लग्न में प्रवेश या फिर कहें अपनी ही स्वरशि में शनी का स्तिथ होना आपके लिए शुभ संयोग बनाएगा। मकर राशि में शनी का गोचर मकर राशि के लिए शुभ रहेगा। कुछ एक मामलों में कष्ट हो सकते हैं लेकिन शनी जब अपनी ही  राशि में गोचर करेंगे तो उत्तम फल भी देंगे। लग्नेश की दृष्टि आपके पराक्रम भाव, सप्तम भाव एवं कर्म भाव पर रहेगी। थोड़ा संघर्ष रहेगा लेकिन पराक्रम में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ वैचारिक मतभेद बड़ सकते हैं। हालाँकि, अपनी वाकपटूता द्वारा आप काफ़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। कार्य क्षेत्र में सम्मान मिलेगा, पड़ प्रतिष्ठा बड़ेगी, प्रमोशन  हो सकता है। धन भाव का स्वामी लग्न में होने से धन वृद्धि के भी संयोग बनेंगे। जीवन साथी के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैंया बिचोह हो सकता है। कार्य क्षेत्र में यश एवं सम्मान हासिल करेंगे।

उपाय : शनी का छाया दान करें। एक लोहे की कटोरी में सरसों का तेल डाल कर, उस पर अपनी छाया देख कर काले कपड़े से धाक दें एवं इसे शनी मंदिर में जा कर शनी देव को अर्पित करें। 

कुम्भ राशि : ( कुंडली में लग्न या चंद्रमा ११ नम्बर के साथ हो) :

कुम्भ राशि वालों के लिए शनी का गोचर अपनी ही राशि में लेकिन बारहवें भाव में रहेगा। आपकी इस गोचर से शनी की साड़ेसाती शुरू हो रही है। मानसिक तनाव बड़ सकते हैं एवं सिर दर्द या स्वास्थ्य में तकलीफ़ हो सकती है। आपकी नींद का पैटर्न में भी बदलाव हो सकते हैं। शनी वैराग्य का कारक हैं एवं बारहवें गोचर में शनी के इस गुण की अधिकता रहेगी। जीवन में नीरसता रहेगी एवं आपका मन किसी भी कर को करने में नहीं लगेगा, एकाग्रचित्त नहीं रहेंगे  एवं जल्द ही उचाटपन आएगा। हालाँकि कुम्भ राशि वालों के लिए शनी का अपनी ही राशि में प्रवेश, आपके लिए विदेश गमन की स्तिथियाँ भी बना रहा है एवं उनके द्वारा लाभ भी होगा। धन भाव पर, छठे घर पर एवं भाग्य स्थान पर इस समय शनी की दृष्टि रहेगी। तंत्र मंत्र में रुचि बड़ेगी एवं धार्मिक यात्राएँ भी कर सकते हैं। इस समय आपको अपनी आर्थिक स्तिथियों को ध्यान पूर्वक सम्भालना चाहिए। आर्थिक मामलों में व्यय अधिक हो सकते हैं एवं आय का आगमन के साथ आय की निकासी के भी संयोग बन रहे हैं। सेहत में कष्ट हो सकते हैं , मानसिक तनाव के अलावा पेट से संबंधीत तकलीफ़ भी बड़ सकती है। हालाँकि कुछ भाग्य वृद्धि के शुभ संयोग भी आपके लिए बन रहे हैं।

उपाय : लाल आसान पर बैठ कर संध्या के पश्चात नियमित सुंदर कांड का पाठ करें 

मीन  राशि : ( कुंडली में लग्न या  चंद्रमा १२ नम्बर के साथ हो) :

मीन राशि वालों के लिए शनी का गोचर आपके लाभ भाव में हो रहा है। शनी का यह प्रबल स्थान है। यहाँ से  शनी की दृष्टि आपके लग्न में, पंचम भाव में एवं अष्टम भाव में रहेगी। प्रॉपर्टी द्वारा फ़ायदे होंगे एवं ज़बरदस्त लाभ के संकेत हैं। विदेशों द्वारा भी इस समय आपको फ़ायदे होंगे। अप्रैल से लेकर जून तक के महीनो में कुछ कष्ट हो सकते हैं लेकिन फिर भी कुछ ना कुछ फ़ायदे भी होते जाएँगे। शनी की लग्न में दृष्टि कुछ मानसिक तनाव के साथ यस एवं सम्मान लेकर आएगी। विद्या आदि कार्यों में आपको कष्ट हो सकते हैं एवं अधिक मेहनत के द्वारा ही  फ़ायदे होंगे। गूड़ विद्याओं की तरफ़ भी विशेष रुझान रहेगा। रीसर्च आदि विषयों में विशेष सफलता प्राप्त होगी। समय प्लानिंग का रहेगा एवं कई योजनाओं की तरफ़ रुचि रहेगी पर उनमें अमल करने से पहले ही विरक्ति उत्पन्न हो सकती है।

उपाय : झूठ ना बोलें, हनुमान जी के समक्ष चमेली के तेल का दिया जलाएँ। काले तिल का दान करें। 

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