१५ जनवरी को पड़ेगी मकर संक्रांति, सूर्य के उत्तरायण होते ही होंगे शुभ कार्य शुरू। महत्व, पूजा विधि, क्या करें, क्या ना करें!

मकर संक्रांति पर्व : 

इस वर्ष अधिकतर लोग मकर संक्रांति की तिथि को लेकर असमंजस में हैं। कोई १४ तो कोई १५ बता रहा है। आइये जानते हैं की शास्त्र अनुसार मकर संक्रांति किस दिन मनायी जाएगी।

सूर्य देव का किसी भी राशि में गोचर करने को संक्रांति बोला जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं तो उस दिन को मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता है।  इस वर्ष सूर्य देव 15 जनवरी की प्रातः काल  2:54 am पर मकर राशि में गोचर करेंगे। १५ जनवरी से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ हो रही है एवं शास्त्र अनुसार उदया तिथि १५ जनवरी को होने से मकर संक्रांति १५ जनवरी को मनाई जाएगी।

इस नियम से इस वर्ष २०२४ में मकर संक्रांति १५ जनवरी को मनायी जाएगी।

सोमवार १५ जनवरी को मकर संक्रांति है।

मकर संक्रांति मुहूर्त-:

मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है। इस बार पुण्यकाल १५ जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।  इस दिन स्नान, दान, जाप , पितृ तर्पण / शांति के लिए भी विशेष दिन माना जाता है।

यह दिन सूर्य के उत्तरायण का दिन भी माना जाता है । हालाँकि, winter solstice के दिन से जो की दिसम्बर के माहिने में होता है, उस दिन से सूर्य उत्तरायण  की तरफ़ बड़ने लगते हैं , लेकिन क्यूँकि सूर्य उस समय धनु राशि में भ्रमण कर रहे होते हैं एवं खरमास का समय होता है, इसीलिए उत्तरायण को संक्रांति के साथ में मनाया जाता है।  इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन नदियों में स्नान और दान का बहुत महत्व बताया गया है।

मकर संक्रांति 2024 :   15 जनवरी, 2024 (सोमवार) :

शुभ मुहूर्त  : मकर संक्रान्ति मुहूर्त ( Delhi Time )

पुण्य काल मुहूर्त: 7:15 am – 5:46 pm तक

महापुण्य काल मुहूर्त: 7:15 am – 9:00 am 

इस दिन से सूर्य उतरायण अवस्था में आ जाता है, इसके पश्चात समस्त शुभ मुहूर्त, त्योहार एवं विधि मान्य होती हैं।
पौराणिक महत्व : 
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माना जाता है की भीष्म पितामह ने भी अपने प्राण त्यागने के लिए उतरायण का इंतज़ार किया था।
सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रान्ति कहते हैं। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस संक्रान्ति को मकर संक्रान्ति कहते हैं।
मकर संक्रान्ति के दिन ही  माता गंगा ऋषि भगिरथ के पीछे चल कर, कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में वीलीन  हुईं थीं।
इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य एवं शनि के इस प्रेम मिलाप की शुरुआत दो मास के लिए मकर संक्रान्ति के दिन से होती है।
आज के दिन क्या करें :
प्रातः काल गंगा स्नान या फिर किसी भी नदी में स्नान करने का विधान है। आप घर में भी एक बालटी में जल भर कर उसमें गंगाजल डाल कर स्नान कर सकते हैं। नित्य कर्म से निवृत होकर, अपने पूजन स्थल को साफ़ करें, अपने इष्ट देव/ देवी का स्मरण  करें एवं नव ग्रह षोडश मात्रिकाओं सहित सभी देवी देवताओं का स्मरण  कर उन्हें धूप,  दीप, नैवैद्य, फल फूल आदि अर्पण कर पूजन करें, उन्हें तिलक लगाएँ एवं स्वयं भी एवं अपने परिवार को भी तिलक लगाएँ।
आज प्रातः काल सूर्य को तिल डाल कर अर्घ्य दें। लाल फूल एवं रोलि अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य का मंत्र ” ॐ  घृणी आदित्याय नमः “ का जप करते हुए अर्घ्य दें। तिल शनी का प्रतीक है एवं इस दिन तिल का सेवन एवं दान करने से भी शुभ फल प्राप्ति होती है।
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मकर संक्रान्ति के दिन माँ अन्नपूर्णा का पूजन भी किया जाता है ताकि आने वाले वर्ष भर माँ की प्रसन्नता रहे एवं घर में सुख समृद्धि का वास हो। इसीलिए आज के दिन खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। खिचड़ी में सभी ग्रहों का समागम होता है इसीलिए कहते हैं की खिचड़ी के सेवन से हर ग्रह को प्रसन्न किया जा सकता है। चावल चंद्रमा, काली उड़द की दाल – शनी, हल्दी – गुरु, सब्ज़ियाँ – बुद्ध, नामक – शुक्र का, गरमी – मंगल का, अग्नि – सूर्य का प्रतीक है। इस दिन खिचड़ी का भोजन करने से सभी ग्रहों की प्रसन्नता प्राप्त होती है एवं ग्रह शांत होते हैं।
मकर संक्रान्ति का त्योहार  वैसे तो पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन हर प्रदेश के हिसाब से अलग अलग नामों से इस त्योहार को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में मकर संक्रान्ति कहते हैं तो असम में बिहु, तमिलनाडु में पोंगल,,,,,
उत्तराखंड में गुड़  एवं आटे  से कई तरह के आकारों के घुघती  बनाए जाते हैं, छोटे बच्चे उनकी माला बना कर प्रातः काल कौवों को गीत गा कर खिलते हैं एवं ख़ुद भी खाते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश एवं बिहार जैसे कुछ एक राज्यों में चूड़ा दही एवं तिलकूट का विशेष सेवन किया जाता है।
कई राज्यों में विशेषकर गुजरात में आज पतंग उड़ाने का भी रिवाज है।

*मकर संक्रांति पर दान का महत्व*

मकर संक्रांति पर विशेष तौर पर दान करने की परम्परा है ।  सफ़ाई कर्मचारी एवं मजदूर वर्ग को शनि का कारक माना जाता है एवं इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर अपने पुत्र के घर में प्रवेश करते हैं। शनी एवं सूर्य पिता पुत्र होते हुए भी आपस में उनकी तकरार रहती है एवं छत्तीस का आँकड़ा रहता है। इसी लिए इस दिन विशेषकर  सूर्य एवं शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी, बाजरा, मूंगफली, कपड़े, कंबल आदि वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ और फलदायी होता है।ऐस अकारने से सूर्य एवं शनी के प्रतिकूल असर से जीवन में शांति प्राप्त होती है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी / सप्त अनाजा के दान का विशेष महत्व : 

अन्न का भी ग्रहों के साथ विशेष संयोग है, जैसे कि उड़द दाल, सरसों, काले तिल, ये शनी के कारक तत्व होते हैं, चावल चंद्रमा एवं शुक्र का प्रतिनिधित्व करता है, हरी मूँग दाल बुध का, मलका दाल मंगल का, चना दाल, हल्दी आदि गुरु के अधीन हैं। बाजरा, काले सफ़ेद तिल राहू केतु के कारक होते हैं। इन सभी को दान करने से नवग्रहों के प्रतिकूल असर से राहत प्राप्त होती है ।

ज्योतिषिय उपाय :
ग्रह शांति :
अगर आप सूर्य एवं शनी से आप पीड़ित है तो इस दिन उनका उपाय करने से विशेष शुभता प्राप्त होती है। इस दिन किसी भी ग्रह शांति के लिए समय उपयुक्त होता है एवं शुभ फल की प्राप्ति होती है। शनी दान एवं अन्ध विद्यालय में दान विशेष फल प्रदान करते हैं। तिल का दान करने से शनी की शांति होती है।
किसी ग़रीब को, कौवों को, गाय को एवं कुत्तों को भोजन खिलाने से शुभ फल की प्रति होती है एवं ग्रह शांति भी होती है। खिचड़ी एवं तिल का दान अवश्य करें।
आप किसी भी ग्रह से अगर पीड़ित हैं तो उस ग्रह की सामग्री दान करने से ग्रह पीड़ा की अवश्य शांति होगी।
सतनज का दान भी विशेष महत्व रखता है एवं सभी ग्रहों की शांति के लिए विशेषकर महत्वपूर्ण है।
पितृदोष शांति : 
आज के दिन किसी भी प्रकार का दान पुण्य करने से कई गुणा फल की प्राप्ति होती है। पितरों के नाम से भी दान अवश्य करना चाहिए एवं उनके लिए भी नदी में स्नान के पश्चात जल अर्पण करना चाहिए।
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ग्रह शांति दान : 
अगर आप की इस समय विपरीत ग्रहों की दशा चल रही है या फिर आपकी कुंडली में कोई ग्रह पीड़ित है एवं आपके जीवन में कष्ट बड़ रहे हैं तो आज का दिन दान आदि द्वारा ग्रह शांति के लिए विशेषकर महत्वपूर्ण है।
वैसे तो सत-अनाजा का दान सबसे अच्छा होता है क्योंकि सभी ग्रह का उसमें निवारण हो जाता है फिर भी  निम्न रूप से आप ग्रह शांति के लिए दान कर सकते हैं।
सूर्य – गुड़ एवं गेहूँ का दान
चंद्रमा – चावल, दूध का दान
मंगल – लाल मसूर की दाल
गुरु – हल्दी, केला
बुद्ध – हरी मूँग दाल, हरी सब्ज़ियाँ
शुक्र – दही – चीनी, नामक,
शनी – तिल, सरसों का दान
आज करनी चाहिए ध्यान एवं पूजा  : 
आज आपको भले ही पाँच मिनट के लिए हो, ध्यान अवश्य करना चाहिए। भोलेनाथ को या फिर नारायण देव का स्मरण कर उन्हें समर्पण भाव से नमन करें एवं उनका ध्यान करते हुए ध्यान करें। अंत में सभी के लिए मंगल कामना करते हुए ईश्वर  को धन्यवाद दें एवं वसुधा माँ को भी प्रणाम कर ध्यान (meditation) से बाहर आएँ।
आपका आने वाला समय शुभ हो एवं इस संक्रान्ति से जीवन में सुख समृद्धि घर में आए। 
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