९ अप्रैल से शुरू हो रहा है हिंदू नव वर्ष, कैसा रहेगा नवसंवत्सर २०८१ – इसका देश, दुनिया एवं आपके जीवन में असर!

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नवसंवत्सर २०८१

” कालयुक्त नामक संवत्सर “

चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। नवसंवत्सर २०८१ , ९ अप्रैल की उदया तिथि से शुरू हुआ मान्य होगा। हालांकि प्रतिपदा तिथि ८ अप्रैल को रात्रि ९:१५ मिनट से शुरू होगी लेकिन उदया तिथि निर्णय से नवसंवत्सर का उल्लास एवं संकल्प ९ अप्रैल से मनाया जाएगा।

इस संवत्सर के राजा मंगल एवं मंत्री शनि हैं। ‘कालयुक्त’ नामक इस संवत्सर में राजा एवं प्रजा के मध्य तनाव की स्तिथियाँ बन सकती हैं। आर्मी एवं पुलिस का विधि के साथ या फिर आम जनता के साथ टकराव बड़ सकते हैं।

नवसंवत्सर रात्रि ९:१५ मिनट में ८ अप्रैल को शुरू हो रहा है एवं तुला लग्न एवं रेवती नक्षत्र में शुरू हो रहा है। संवत्सर की शुरुआत में चतुर्ग्रही योग बन रहा है। मंगल एवं शनि की युति है एवं गुरु -बुध की युति बन रही है।

राज धर्म एवं कार्य क्षेत्र का स्वामी चंद्रमा अस्त है एवं यह स्तिथी नए प्रोजेक्ट में रोड़े अटका सकती है। सत्ता पक्ष के लिए यह वर्ष कठिन रहेगा एवं आंतरिक कलह को सुलझाने में अधिक समय गवाएँगे।विश्व में रोग वृद्धि हो सकती है। राजा संवेदनशील कम और व्यक्तिगत वृद्धि  में आसक्त रहेंगे। धार्मिक या साम्प्रदायिक द्वेष उत्पन्न  हो सकते हैं।

रेवती नक्षत्र का स्वामी बुध भी वक्री एवं अस्त दोनो है। यानी की कम्यूनिकेशन पॉलिसी, सैटलायट संबंधित परेशानियाँ, हैकिंग की स्थिति, मोबाइल फ़ोन, कम्प्यूटर आदि में अचानक से गड़बड़ी आने की आशंका बहुत अधिक रहेंगी। रॉकेट लॉन्चर, ड्रोन अटैक बड़ सकते हैं। शेयर मार्केट में बहुत उतार चढ़ाव रहेंगे।

इस वर्ष की शुरुआत में कई देश ग्रहण की परिधि के अंदर भी थे। उन सारी कंट्री में उलट – पलट, राज युद्ध, बॉर्डर टेन्शन, अंदरूनी कलह, प्राकृतिक आपदाएं भी काफी देखने को मिलेंगी। किसी महान व्यक्ति / राजनेता  की मृत्यु भी आने वाले तीन महीनों के अंदर सम्भव है।

किसी सेलिब्रिटी महिला  के ऊपर आरोप प्रत्यारोप भी इस वर्ष लग सकते हैं। महिलाओं के लिए इस वर्ष कठिन समय रहेगा। इस वर्ष रोजमर्रा के कार्यों में मन भ्रमित रहेगा एवं एक बैलेन्स बना कर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

मंगल के राजा होने से प्रॉपर्टी आदि में फायदे हो सकते हैं। फसल अच्छी रहेगी एवं अन्न का उत्पादन अच्छा रहेगा। किसानो की लिए यह वर्ष शुभ है एवं उनके हित में परिणाम सामने आएँगे।हालाँकि मंगल की उग्रता की वजह से लोगों में सहनशीलता  की कमी रहेगी एवं एक दूसरे से भिड़ने एवं झगड़ने के लिए आतुर रहेंगे। यह आपसी द्वेष एवं भूमि विग्रह का कारक भी बन सकता है।भूकम्प, भू स्खलन, अग्नि भय, रक्त विकार आदि की भी संभावनाएं अधिक रहेंगी। हालाँकि, सेना, पोलीस, चिकित्सा, ,प्रॉपर्टी आदि से जुड़े लोगों के लिए वर्ष शुभ होगा।

शनि की अपनी मूल त्रिकोण राशि में गोचर से जूडिशीएरी का वर्चस्व रहेगा एवं इस वर्ष कुछ नए law भी आ सकते हैं। आम प्रजा की सुनवाई होगी एवं उनके भले के लिए कुछ ठोस निर्णय भी लिए जा सकते हैं।हालाँकि मंगल शनि के सतह होने से जनता का सत्ता के साथ टकराव भी बड़ सकता है।

इस वर्ष इन्फ़्रस्ट्रक्चर या तकनीकी विभागों में काफ़ी काम होगा, नई सड़के / हाईवे बन सकते हैं, airline, automobile, pharma, केमिकल इंडस्ट्री, iron and steel में बढ़ोतरी होगी एवं नए मुक़ाम हासिल किए जाएँगे।

हालाँकि छठे घर में ग्रहण जैसे योग बनने से रोग आदि इस वर्ष फैल सकते हैं। किसी नए वायरस अटैक की सम्भावना भी बड़ सकती है जिसका फैलाव या तो भीषण गर्मी की वजह से या फिर जल द्वारा या फिर खान पान द्वारा फैल सकता है।

अन्य ग्रहों को जो इस वर्ष पदभार मिला है वह निम्न प्रकार है। धनेश चंद्र,  धान्येष सूर्य रहेंगे, मेघेश एवं दुर्गेश शुक्र हैं, रसेश बृहस्पति । वर्ष की शुरू में शुक्र अपनी उच्च राशि में हैं एवं मेघेश का कार्यभार सम्भाल रखा है, यह अच्छी वर्षा का द्योतक है। गुरु भी मित्र राशि में बैठ कर रसेश हैं एवं फल – फल की उत्पाद अच्छी होगी।सोना-चाँदी -तांबा उछाल में रहेगा।

धनेश चंद्र वर्ष की शुरुआत में अस्त हैं एवं महंगाई बढ़ेगी एवं व्यय अधिक रहेंगे।  शिखा प्रणाली में कुछ सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं एवं इस क्षेत्र में विकास होगा।

इस वर्ष चार ग्रहण पड़ रहे हैं एवं इसमें से कोई भी भारत में दर्श नहीं होगा तो इसका असर जंबूद्वीप यानी की भारत में होता नजर नहीं आ रहा है। २०२४ के आखिर में पड़ने वाले ग्रहण का असर ऐंटार्क्टिका में हो रहा है एवं यह एक संवेदनशील स्थान बन सकता है एवं भूस्खलन के योग बन सकते है। २०२४ में पड़ने वाले ग्रहण का असर अमेरिका एवं कनाडा में काफ़ी रहेगा जिस वजह से यहाँ प्राकृतिक आपदाएं, मानसिक/ भावनात्मक उथल पुथल, शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव, राजनीतिक सत्ता पलट आदि की संभावनाएं बड़ सकती हैं। किसी बड़े राजनेता की मृत्यु की भी आशंका इस वर्ष रहेंगी।

 

राशि अनुसार भविष्यफल :

१: मेष राशि ( अ,च, चू, चे, ला, ली, लू, ले, लो ) : 

मेष राशि के राशि स्वामी मंगल हैं जो इस वर्ष के राजा भी हैं। मंगल से संबंधित कार्य आपके लिए शुभ फल लेकर आएँगे। समाज में मान सम्मान भी बड़ेगा। गुरु का गोचर आपके द्वित्य भाव में पूरे वर्ष रहेगा। यह भाग्य में वृद्धि का कारक है एवं धन लाभ रहेंगे। समाज में सम्मान बड़ेगा। सेहत में भी सुधार आएँगे। भूमि, भवन का लाभ होगा , मान सम्मान में वृद्धि होगी ।राहू के बारहवें होने से मन भ्रमित रहेगा एवं व्यर्थ के व्यय रहेंगे एवं यात्राएँ भी हो सकती हैं।शनि के एकादश भाव में भ्रमण से आपके जीवन में लाभ की स्तिथियाँ बनेंगी एवं किसी नई प्रॉपर्टी में निवेश भी कर सकते हैं।  आय-व्यय की दृष्टि से २ अंक आय के आए हैं एवं १४ व्यय के है,  जिस वजह से अपयश भी मिल सकता है। अगर आप भूमि संबंधित या रीसर्च संबंधित या माइनिंग आदि कार्य करते हैं तो इस वर्ष लाभ की स्तिथियाँ बनेंगी। 

उपाय : मछलियों को दान खिलायें। चाँदी की गोली अपने पर्स में हमेशा रखें।

 

: वृष राशि : ( उ, ए, ई, औ, द, दी,वा, वी, वो) 

यह वर्ष आपके लिए उत्तम वर्ष है। आपका राशि स्वामी शुक्र वर्ष की शुरुआत में उच्च का है एवं मंत्री शनि के गुरु भी हैं। यह वर्ष आपके लिए भूमि, भवन का लाभ, मान सम्मान में वृद्धि लेकर आएगा । होटेल, रिज़ॉर्ट, खान पान, इत्र, cosmetic, मीडिया, फ़ैशन आदि से संबंधित कार्य करते हैं तो इस वर्ष विशेषकर लाभ होगा।इस वर्ष की शुरुआत में ही गुरु का आपके लग्न में गोचर शुभ होगा एवं  शुभ मंगल कार्य की सम्भावना बड़ेगी।  संतान संबंधित सुख प्राप्त होगा। विद्यार्थियों के लिए यह वर्ष उत्तम है।विवाह आदि के शुभ संयोग भी आप में से कुछ एक के लिए बनेंगे। इस वर्ष भाग्य में वृद्धि होगी। आय – व्यय की स्तिथी से २ आय है एवं ८ व्यय हैं, लाभ रहेगा। 

उपाय : गणपति को दूर्वा चड़ाएँ एवं गणपति मंत्र का जाप करें 

 

३: मिथुन राशि : ( का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)

इस वर्ष मई से गुरु का आपके बढ़ावे भाव में गोचर आपके लिए बेवजह की बेचैनी बड़ सकता है।शनि के भाग्य स्थान पर गोचर करने से आपके भाग्य में वृद्धि होगी। धार्मिक यात्राओं की तरफ़ मन जागरूक रहेगा। राहू का दशम स्थान पर गोचर आपके जीवन में करियर में उन्नति के अवसर अचानक से खोलेगा। चतुर्थ भाव में केतु का होना घर परिवार के मामलों में वैराग्य की स्तिथियाँ बना सकता है। शारीरिक कष्ट, व्यर्थ के विवाद, तनाव में रहेंगे। मन अशांत रहेगा। लाल वस्त्र एवं सफ़ेद वस्त्र का दान शुभ होगा। हालाँकि, आय व्यय की दृष्टि से ५ आय हैं एवं ५ व्यय हैं – यह जीवन में लाभ को अंकित करता है। 

उपाय : एक चम्मच  काले सफ़ेद तिल को अपने से ७ बार उतारा कर चींटियों को खिलाएँ।

 

४: कर्क : (  ही, हू, हे, हो, डा, डी, डु, डे, डो)

आप शनि की ढैय्या से ग्रस्त हैं एवं आलस्य से घिरे रहेंगे। पाँव में कष्ट बड़ेगा। गुरु का गोचर आपके एकादश भाव में होगा जो आपके जीवन में सुख समृद्धि के मार्ग खोलेगा एवं प्रॉपर्टी आदि द्वारा भी फ़ायदे लेकर आएगा।कोई नया वाहन भी इस वर्ष ख़रीद सकते हैं या फिर अपने घर को renovate करवा सकते हैं। इस वर्ष मेहनत के बल पर कुछ हासिल कर पाएँगे। थोड़ा सा तनाव ग्रस्त रहेंगे एवं मन भी बेचैन रहेगा। व्यर्थ भ्रमण रहेगा, परिश्रम  द्वारा सफलता हासिल होगी। देशाटन रहेगा। विद्यार्थी वर्ग का पढ़ाई में कम मन लगेगा एवं आपकी रुचि गूढ़ विद्याओं की तरफ़ अधिक होती जाएगी।   चाँदी के पैर को शिव मंदिर में दान करें। आय व्यय की दृष्टि से १४ आय एवं २ व्यय हैं – इस वर्ष विजय प्राप्ति के शुभ संयोग भी बनेंगे। 

उपाय : बजरंग बाण का पाठ करें। शिवलिंग पर शनिवार के दिन शमी के पत्ते चड़ाएँ। 

 

५: सिंह : ( मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

गुरु का गोचर आपके दशम भाव में रहेगा जिस वजह से उन्नति होगी एवं मान सम्मान भी बड़ेगा। आय में वृद्धि होगी एवं घर गृहस्ती में सुधार होगा। इस वर्ष आप भी नया वाहन ख़रीद सकते हैं या फिर घर की साज सज्जा में कुछ व्यय करेंगे। समाज में मान सम्मान बड़ेगा।आप में से कुछ एक के लिए विवाह के प्रबल संयोग बन रहे हैं। बिज़्नेस में फ़ायदे होंगे एवं सेहत में भी सुधार आएँगे। आय में वृद्धि होगी एवं अपनी सेहत की तरफ़ भी जागरूक होने लगेंगे। अष्टम राहू व्यर्थ के भ्रमण करवाएगा एवं गूढ़ विध्याओं की तारफ रुचि बड़ाएगा, परिश्रम  द्वारा सफलता हासिल होगी। देशाटन रहेगा। चाँदी, दही, लाल वस्त्र, सफ़ेद वस्त्र, अन्न का दान करें। आय – व्यय की दृष्टि से २आय एवं १४ व्यय हैं – आपको इस वर्ष विजय की प्राप्ति होगी। केतु के द्वित्य स्थान पर होने से आप अपने निवेशों की तरफ़ ठीक से ध्यान नहीं दे पाएँगे, हालाँकि अंत में वह सफलता के मार्ग में आगे बड़ते जाएँगे। 

उपाय : केसर युक्त चंदन को माथे में, कंठ में एवं नाभि में लगाएँ। 

 

६: कन्या : ( ढो, प, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

मई २०२४ से आपको गुरु के वृषभ राशि में गोचर से काफ़ी राहत मिलेगी एवं जीवन में मान सम्मान की वापसी होगी। शनि का छठे भाव में गोचर एवं गुरु का भाग्य स्थान पर गोचर आपके लिए शुभ फल लेकर आएगा। केतु के लग्न में होने की वजह से आप का किसी भी कार्य को करने में मन नहीं लगेगा एवं बेचैनी महसूस करेंगे। पूजा पाठ, ध्यान एवं योग करने से आपकी राहत मिलेगी एवं आंतरिक जागृति की सम्भावनाएँ भी बड़ेंगी।वैवाहिक जीवन में कष्ट बड़ सकते हैं एवं मन भ्रमित रहेगा। बिज़्नेस में भी कुछ ऐसी ही स्तिथी रहेगी एवं अपने पार्ट्नर से धोखा भी मिल सकता है। आय में वृद्धि होगी एवं संतान समबंधित सुख भी इस वर्ष प्राप्त होगा। विध्यर्थी वर्ग के लिए यह वर्ष राहत का वर्ष है एवं परीक्षा में उतीर्ण होने की सम्भावनाएँ बड़ेंगी। आय -व्यय की दृष्टि से ५ आय हैं एवं ५ व्यय हैं, जीवन में लाभ की स्तिथियाँ भी बनेंगी। 

उपाय : आवारा कुत्तों की सेवा करें एवं उनके लिए चर्म रोगों वाली दवाई का दान करें।

 

७: तुला (र, री, रू, रे, रो, ता, ति, तू, ते)

तुला राशि वालों के लिए इस वर्ष खट्टे मीठे अनुभव रहेंगे। इस वर्ष विदेश भ्रमण हो सकते हैं या फिर विदेशियों द्वारा फ़ायदा भी हो सकता है। आय में वृद्धि होगी एवं समाज में मान बड़ेगा। घर की साज सज्जा में कुछ समय व्यतीत कर सकते हैं। आप में से कुछ एक के लिए नए वाहन को ख़रीदने के भी चांसेस बन रहे हैं। सेहत की तरफ़ ध्यान देने की आवश्यकता है एवं किसी कोर्ट कच हरी के मामलों में फँसने के चांसेस भी बन सकते हैं।शनि का गोचर आपको संतान संबंधित सुखद अनुभव देगा एवं पढ़ाई आदि में भी फ़ायदे होंगे। इस वर्ष आपके घर में मांगलिक कार्य होने, विवाह, धन लाभ होने की सम्भावनाएँ रहेंगी। आय व्यय की दृष्टि से आपके लिए २ आय हैं एवं ८ व्यय हैं एवं यह आपके जीवन में लाभ की स्तिथी भी बनाएगा। 

उपाय : हर त्रयोदशी के प्रदोष काल में महादेव को सफ़ेद चंदन से अभिषेक करें एवं उन्हें सफ़ेद जनेउ अर्पित करें।

 

८: वृश्चिक : (तो, न, नी, नू, ने, नो, या, यि, यू)

आप ढैय्या के असर में हैं एवं इसके असर से अपने घर में मन अशांत रहेगा।माता की सेहत में भी प्रतिकूल असर हो सकता है, इस तरफ़ ध्यान देने की आवश्यकता है।  किसी काम को करने से पहले उसे बहुत बार सोचेंगे एवं कई बार तो आलास्य के करण उस पर अमल भी नहीं कर पाएँगे। हालाँकि, इस वर्ष आपके लिए शुभ संयोग भी बन रहे हैं। विवाह के शुभ संयोग बन रहे हैं। आर्थिक धन समृद्धि के शुभ संयोग बनेंगे।गुरु का गोचर आपके लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा एवं विवाह आदि के शुभ संयोग भी बनाएगा। संपती जोड़ने के भी संयोग बन सकते हैं एवं किसी नई प्रॉपर्टी में भी व्यय इस वर्ष कर सकते हैं। लॉटरी आदि द्वारा भी इस वर्ष फ़ायदे होंगे।समाज में मान सम्मान बड़ेगा एवं मन प्रसन्न रहेगा।सेहत में काफ़ी सुधार इस वर्ष होता जाएगा एवं अपनी व्यवहार कुशलता द्वारा कई मामलों को सुलझा पाएँगे। संतान को लेकर चिंता अधिक रहेगी एवं मन परेशान रहेगा। आय – व्यय की दृष्टि से देखें तो ८ आय हैं एवं १४ व्यय हैं, यह ठीक नहीं है एवं कहीं से अपयश भी मिल सकता है। 

उपाय : सुंदर कांड का पाठ करें एवं हनुमान जी के दाहिने पाँव के अंगूठे से थोड़ा सिंदूर एक डिब्बी में रख लें एवं इसका टीका रोज़ लगाएँ।

 

९: धनु ( य, यो, भा, भि, भू, ध, फा, ढ, भे)

आपके लिए यह वर्ष उत्तम वर्ष है एवं कई मायनों में आपको लाभ होगा। शनि का तृत्य भाव में गोचर आपके पराक्रम में वृद्धि करेगा, सेहत में सुधार होगा एवं आप अपनी व्यवहार कुशलता द्वारा उन्नति के मार्ग में आगे बड़ते जाएँगे। घर परिवार को लेकर मन अशांत रहेगा एवं माता की सेहत में भी प्रतिकूल असर हो सकता है। इस वर्ष अपनी भी सेहत की तरफ ध्यान देंने की  आवश्यकता है एवं पेट से संबंधित कष्ट हो सकते हैं, शुगर की प्रॉब्लम है तो इस वर्ष आपको अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।नौकरी में प्रमोशन हो सकते हैं या फिर मान सम्मान बड़ेगा। आय में वृद्धि होगी एवं घर परिवार में सम्मान मिलेगा। आर्थिक धन लाभ होगा। समृद्धि बड़ेगी। आय एवं व्यय की दृष्टि से देखें तो इस वर्ष ११ आय हैं एवं १४ व्यय हैं, यह आपके लिए विजय की स्तिथी बनाएगा एवं जीवन में सफलता हासिल होगी।

उपाय : रांगे के बने राहू केतु के यंत्रों को जल में प्रवाहित करें। मछलियों को दान डालें।

 

१०: मकर ( भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

आप पर शनि की साड़े साती का आख़िरी पड़ाव चल रहा है एवं यह आपको शुभ फल देकर जाएगी। आर्थिक उन्नति के लिए यह वर्ष शुभ है एवं धन लाभ रहेंगे। निवेशों द्वारा भी इस वर्ष फ़ायदे होंगे। गुरु का गोचर आपके लिए उत्तम गोचर है एवं यश, मान सम्मान लेकर आएगा। भाग्य आपका साथ देगा एवं किसी नई प्रॉपर्टी में भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। धर्म कर्म के कार्यों में एवं धार्मिक यात्राओं में मन लगेगा। लोग आपकी बातों से प्रभावित होंगे एवं आपके लिए शुभ संयोग बना रहे हैं।आपको विद्या में लाभ रहेगा। किसी भी इंटर्व्यू/ प्रतियोगिता में सफलता मिल सकती है। आय – व्यय की दृष्टि से देखें तो १४ आय हैं एवं १४ व्यय रहेगा, यह क्लेश को जीवन में बड़ाएगी। 

उपाय : लक्ष्मी नारायण की पूजा करें। महामृत्युंजय का पाठ शुभ रहेगा। 

 

११: कुम्भ ( गू, गे, गो, स, सी, सू, से, सो, द)

गुरु का चतुर्थ भाव में गोचर आपके कार्य क्षेत्र में उन्नति की स्तिथियाँ बना रहा है। इस वर्ष विदेश भ्रमण की भी अच्छे संयोग आपके लिए बन रहे हैं एवं किसी अजनबी द्वारा लाभ हो सकते हैं।शनि की साड़े साती के मध्य भाग में आप चल रहे हैं। हृदय से संबंधित पीड़ा बड़ सकती हैं। हालाँकि इस वर्ष आपके लिए विद्या में उन्नति होगी एवं साक्षात्कार में सफलता प्राप्त होगी।शनि आपके लग्न में गोचर कर रहा है एवं अपनी मूल त्रिकोण राशि में गोचर कर रहा है तो यह खट्टे मीठे फल देगा। मेहनत के पश्चात आपके लिए शुभ संयोग लेकर आएँगे। पीपल के वृक्ष में जल चड़ायें, हनुमान जी का नियमित पाठ करें। शुभ होगा। आय व्यय की दृष्टि से देखें तो १४ आय है एवं १४ व्यय हैं, यह अनुकूल नहीं है एवं क्लेश रहेगा। 

उपाय : दशरथ स्त्रोत का पाठ करें एवं शनिवार को सरसों का तेल एवं मुट्ठी भर उड़द दाल दान करें। 

 

१२: मीन ( दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, च, ची)

गुरु के वृषभ राशि में गोचर से आपके लिए विवाह के सुंदर संयोग बनते जाएँगे एवं सुख शांति प्राप्त होगी। इस वर्ष भाग्य आपका साथ देगा एवं मुश्किल घड़ी में भी आसानी से बाहर निकलने के चांसेस भी बनते जाएँगे। आप किसी नई प्रॉपर्टी में शिफ़्ट हो सकते हैं या फिर कोई नई प्रॉपर्टी में निवेश भी कर सकते हैं। लाभ की स्तिथियाँ रहेंगी एवं लॉटरी आदि द्वारा भी फ़ायदे होंगे।हालाँकि आपको ये भी ध्यान देना चाहिए की आपकी शनि की साड़े साती शुरू हुई है। शुरुआती साड़े साती आपके लिए कुछ बेहतर भी लेकर आएगी एवं विदेश द्वारा फ़ायदे हो सकते हैं। भूमि, भवन का लाभ, मान सम्मान में वृद्धि। आपके लग्न में राहू की उपस्तिथि आपको कई बार भ्रमित भी करेगी एवं किसी भी शुभ निर्णय में आने से पहले बहुत कन्फ़्यूज़न में भी रहेंगे। आय – व्यय की दृष्टि से देखें तो ११ आय है एवं ५ व्यय हैं। यह आपके जीवन में सफलता की सूचक है एवं विजय लेकर आएगी। 

उपाय : हनुमान जी का पूजन अवश्य करें। उन्हें सिंदूर एवं चमेली के तेल का लेप चड़ाएँ।

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