जून जुलाई में पड़ रहे हैं तीन ग्रहण, क्या होगा वर्ष २०२० में पड़ने वाले ग्रहणों का जनमानस पर असर ,

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  वर्ष २०२० में पड़ने वाले ग्रहणों का जनमानस पर असर :
( नन्दिता पाण्डेय- ज्योतिषाचार्या, ग्रहण शोधकर्ता )
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वर्ष २०२० की शुरुआत ही ग्रहण  से ग्रसित रही, २६ दिसम्बर का सूर्य ग्रहण का असर वर्ष की शुरुआत में रहा एवं साथ ही छः ग्रह इस ग्रहण से पीड़ित रहे जो वर्ष की शुरुआत में भी अपना असर दिखा रहे थे। अभी इस ग्रहण काल के १५ दिन के ग्रास से वर्ष निकल ही रहा था की दूसरा चंद्र ग्रहण ११ जनवरी को पड़ गया। 
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ये दोनो ही ग्रहण विश्व के कई देशों को प्रभावित कर रहे थे, मुख्यतः चीन, युरोप, एसिया, ऑस्ट्रेल्या अमेरिका, खाड़ी  प्रदेश, साउदी अरब, दुबई आदि। कोरोना वाइरस का महा प्रकोप विशेषकर इन प्रदेशों में ही अधिक दिखाई पड़ा। 

 

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ध्यान देने योग्य ये बात  है की वर्ष का पहला भाग यानि की पहले सात महीने ग्रहण या फिर सूपर मून से ग्रसित हैं। सूपर मून का असर भी लगभग ग्रहण जैसा ही रहता है।
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निम्न तालिका बता रही है की वर्ष की शुरुआत से ही हर महीने हम ग्रहण या फिर सूपर मून से ग्रसित रह रहे हैं। 
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२६ दिसम्बर – आंशिक सूर्य ग्रहण  
११ जनवरी – आंशिक चंद्र ग्रहण 
९ मार्च – सूपर मून 
७ अप्रैल – सूपर मून ( पिंक मून यानि की वर्ष का सबसे बड़ा सूपर मून)
७ मई – सूपर मून 
६ जून – आंशिक चंद्र ग्रहण  
२१ जून – आंशिक सूर्य ग्रहण 
५ जुलाई – आंशिक चंद्र ग्रहण 
३० नवम्बर – आंशिक चंद्र ग्रहण 
१४ दिसम्बर – पूर्ण सूर्य ग्रहण 
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उपरोक्त तालिका से साफ़ नज़र आता है की वर्ष के पहले साथ महीने ग्रहण  एवं सूपर मून के ज़बरदस्त गिरफ़्त में हैं। 
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मई – जून – जुलाई में ग्रहों की विपरीत चालों का भी हो रहा है असर : 
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अभी इतना ही काफ़ी नहीं था की इस समय ग्रहों की चाल भी कुछ कम कठिन नहीं हैं। गुरु वर्ष की शुरुआत में पहले केतु से पीड़ित रहे, अपने अतिचारि स्वरूप में भ्रमण कर रहे हैं एवं फिर ३० मार्च से अपनी नीचस्थ राही में गोचर करने लगे। भले ही वहाँ उनका शनी के सानिध्य में नीच भंग योग बन रहा हो फिर भी नीच प्रवित्ति दिखती ही है। 
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मकर राशि में शनी स्वरशि के, मंगल उच्च के एवं गुरु नीच के ३० अप्रैल से ४ मई तक युती में रहे, फिर मंगल का गोचर कुम्भ राशि में हुआ। ग्रहों का यह तिलिस्म जीवन में एक विरोधाभास लेकर आया, जहाँ शनी जो जनमानस के कारक हैं उनका सीधे सामना मंगल ( पोलिस, आर्मी,अग्नि, युद्ध का कारक) हो रहा था, गुरु (सरकार, राज्य निर्णय, धन सम्पत्ति, धर्म, संत, गुरु का कारक) अपनी नीच स्तिथी में  सरकार को विपरीत निर्णयों  को लेने को उकसा रहा था। पालघर में संतों की विभत्स हत्या, उन्हें चोर समझ कर हुई, यह भी नीच गुरु का ही खेल है। वहीं पर मौलाना साद ( गुरु के कारक)  की जिद्द की वजह से जमाती जो इकठ्ठे  हुए एवं उसके पश्चात पूरे देश भर में फैले, जो कोरोना के फैलने का एक कारण भी बना, यह भी नीच के गुरु का एक तरह से श्रापित करना ही था।
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सरकार एवं मज़दूरों के बीच मनमुटाव एवं ग़रीबों का या फिर मज़दूरों का सरकार पर भरोसा ना कर पैदल ही अपने घर की तरफ़ चल देना भी मंगल एवं शनी के विरोधाभास की स्तिथियों की वजह से हुआ। मंगल अभी कुम्भ राशि में गोचर कर रहा है। कुम्भ राशि के स्वामी शनी अभी वक्रि चल रहे हैं, यह भी आपसी विरोधाभास की स्तिथियाँ बना रहा है। 
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जून के महीने में ६ ग्रह चल रहे हैं वक्रि चाल एवं  उनपर हो रहा है ग्रहणों का असर : 
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वर्ष २०२० में, ११ मई को शनी का वक्रि चाल चलना, १३ मई को शुक्र का, फिर १४ मई को गुरु का वक्रि गति से बड़ना  और जून के महीने में इनके साथ बुद्ध का भी वक्रि हो जाना, और जून – जुलाई के महीनों में तीन ग्रहण का पड़ना, यह सामान्य संयोग नहीं है एवं  यह कालचक्र की कुंडली में भयंकर स्तिथियाँ बना रहा है जैसे प्रकृति प्रतिशोध लेने पर तुली हो। 
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५/६ जून एवं २१ जून को होने वाले ग्रहण का असर भारत में भी होगा। इसी के साथ अफ़्रीका, खाड़ी प्रदेश ( अरब, मिस्र आदि), ऑस्ट्रेल्या, न्यू ज़ीलैंड ,चीन, पाकिस्तान, भारत, साउथ ईस्ट एसिया, युरोप विशेषकर इस ग्रहण  से ग्रसित रहेंगे एवं इन पर सबसे अधिक असर भी ग्रहण से समबंधित आपदाओं का रहेगा। 
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५ जुलाई का ग्रहण का असर साउथ अमेरिका, अमेरिका, दक्षिण -पश्चिमी छोर का अफ़्रीका महाद्वीप, पैसिफ़िक सागर, अटलांटिक सागर आदि स्थानों में अधिक दिखाई देगा। 
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क्या होता है ग्रहण का असर : 
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जब भी कोई ग्रहण पड़ता है तो उससे १५ दिन पहले एवं १५ दिन बाद तक उसका असर दिखाई देता है। वहीं पर सूर्य ग्रहण के ३ महीने पहले एवं तीन महीने बाद तक असर दिखाई देते हैं। 
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ग्रहण का असर कई रूप में दिखाई पड़ सकता है, और यह किसी व्यक्ति विशेष से ज़्यादा पूरे जनमानस पर अधिक प्रभाव डालता है। ग्रहण की वजह से समाज में भावनात्मक एवं मानसिक अशांति बड़ती है, प्रकृतिक आपदाएँ जैसे की भूकम्प या बाड़ का आना, चक्रवात आदि का आना,  युद्ध की स्तिथी, शेयर मार्केट में उतार चड़ाव, बॉर्डर में तनाव जो युद्ध जैसी सम्भावनाएँ बड़ा दे, आतंकवाद का बड़ना, मौसम में भी भारी बदलाव यह सब ग्रहण  के आस पास घटित होते हैं। 
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मैंने ग्रहण एवं सूपरमून में बहुत शोध किया है एवं यह भी पाया है कि जब भी ग्रहण या सूपरमून  होते हैं तो वह किसी राजनेता या फिर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति को मृत्यु के ग्रास में लेता है। अभी पिछले हफ़्ते प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर एवं इरफ़ान खान की मृत्यु भी मई के सूपर मून के बिलकुल क़रीब हुई थी। 
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जून  – जुलाई में पड़ने वाले ग्रहण  से सम्बंधित  भविष्यवाणी : 
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५/ ६ जून के ग्रहण वृश्चिक राशि में पड़ेगा, वृश्चिक राशि जल तत्व की राशि है एवं उसका स्वामी मंगल होता है जो भूमि, युद्ध, एवं अग्नि का कारक भी होता है।
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मेरी भविष्यवाणी ये है की ६ जून के ग्रहण  के आस पास यानि की २० मई २०२० से लेकर २० जुलाई तक की अवधी बहुत कठिनाइयाँ लेकर आएँगी। इस समय प्रतिकूल माहौल रहेगा एवं प्रकृतिक विपदाओं के संयोग ज़्यादा बनेंगे। जल तत्व की राशि में ग्रहण पड़ने की वजह से, जल एवं भूमि सम्बंधित आपदाएँ जैसे की बाड़, भारी वर्षा, चक्रवात, सुनामी, भूमि का धँसना, भूकम्प, आगज़नी होने की सम्भावनाएँ अधिक रहेंगी। भारत को युद्ध जैसी स्तिथियों का सामना करना भी पड़ सकता है। 
 
मंगल के शनी की राशि में होने की वजह से शनी से सम्बंधित  प्रकोप भी रहेंगे।
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जैसे की कोयला खदानों में आग लग जाना या भूमि धँस जाना, तेल, केमिकल, पठाखों या फिर अस्त्र-शस्त्र की फ़ैक्टरी में आग लग जाना, किसी ट्रान्स्पोर्ट से सम्बंधित  वाहन  में आग लगना या ऐक्सिडेंट हो जाना। हवाई यात्राओं में कष्ट, हवाई जहाज़ों का क्रैश हो जाना, यह सभी सम्भावनाएँ मई – जून – जुलाई के महीनो में अधिक होंगी। 
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जल तत्व वाली राशि ( वृश्चिक राशि – ५ जून २०२० ) में ग्रहण पड़ने की वजह से इस समय जल से सम्बंधित  विपदाएँ अधिक बड़ेंगी जैसे की अधिक वर्षा होना, बाड़ का आना या फिर चक्रवात, सुनामी जैसी आपदाओं के अचानक से आ जाना।“अम्फान चक्रवात भी २० मई को जागृत हुआ एवं २१ -२२ मई तक बंगाल की खाड़ी में पश्चिम बंगाल एवं ओरिसा में तहस नहस कर के गुज़रा। 
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पर प्रकृतिक आपदाओं की अभी ये शुरुआत है। 
 
जून में दो ग्रहण एवं एक ग्रहण ५ जुलाई को पड़ने वाला है। जून एवं जुलाई के महीनों में समय काफ़ी नाज़ुक रहेगा एवं अभी और प्रकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
 
किसी राजनेता, सिलेब्रिटी या फिर किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की मृत्यु इस समय निश्चित है। कहीं पर सत्ता पलट के भी इस समय संकेत मिलते हैं एवं सम्भावनाएँ होती हैं। कोरोना बीमारी इस समय एकदम से बड़ेगी। मज़दूर ( शनी) एवं सरकार (गुरु) के बीच मतभेद बड़ सकते हैं। इस समय संत समाज को भीषण  आरोप – प्रत्यारोप का सामना करना पड़ सकता है। किसी धर्म गुरु या आध्यात्मिक गुरु का निधन भी हो सकता है। 
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 गुरु के नीचस्थ होने की वजह से धर्म गुरुओं के लिए भी  २० मई से ३० जून तक समय नाज़ुक है एवं  उनके ऊपर लांछन एवं आरोप लग सकते हैं।
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५/६ जून को वृश्चिक (जल तत्व) राशि में,  २१ जून को मिथुन राशि ( वायु तत्व)  में एवं ५ जुलाई को धनु राशि में ( अग्नि तत्व)  यह दर्शाता है की जून – जुलाई के महीनों में प्रकृतिक आपदाएँ  जैसे की भूकम्प, भारी वर्षा, बाड़, चक्रपात, सुनामी या फिर भीषण गर्मी – आगज़नी आदि के संयोग बनेंगे।
 
एक माह के अंदर तीन ग्रहणों का पड़ना वैश्विक स्तर पर चेतावनी लेकर आ रहा है, समय अनुकूल नहीं है एवं कई देश आपस में युद्ध की स्तिथी में भी आ सकते है। इस समय सभी देशों को आपस में संयम बरतना चाहिए अन्यथा यह स्तिथी एक गहन चिन्ता का विषय बन सकती है।
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२१ जून के सूर्यग्रहण में ६ ग्रह वक्रि रहेंगे एवं यह समय मिथुन एवं धनु राशि वालों के लिए विशेषकर घातक हो सकते हैं। इस समय भारत को विशेषकर  अपनी सीमाओं पर संदिग्ध हस्तक्षेप या युद्ध जैसी स्तिथियाँ दिखाई दे सकती हैं। भारत के पश्चिमोतर्री सीमाओं में युद्ध ऐसी स्तिथी बन सकती है एवं पाक अधिकृत कश्मीर, जम्मू – कश्मीर, लेह – लद्धाख, पंजाब, या उसकी सीमाओं पर कुछ विपदाएँ अचानक से बड़ेंगी।
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वर्ष के अंत में भी पड़ रहे हैं दो ग्रहण : 
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२०२० के अंत में भी दो ग्रहण  पड़ रहे हैं, ३० नवम्बर को आंशिक चंद्र ग्रहण ( वृषभ राशि में) एवं १४ दिसम्बर (वृश्चिक राशि में) को पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ेगा। यह भी एक भाव स्तिथियाँ लेकर आएगा। ज्ञात रहे कि २० नवम्बर से गुरु फिर नीच राशि में प्रवाह करेंगे एवं १ अप्रैल २०२१ तक वहीं रहेंगे। 
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वृषभ राशि में पड़ने वाला चंद्र ग्रहण, भूमि , सुख समृद्धि से सम्बंधित आपदाएँ अधिक लेकर आएगा। पर वहीं पर वृश्चिक राशि में पड़ने वाला ग्रहण जल से समबंधित आपदाएँ बड़ाएगा, जल प्रलय, तूफ़ानी चक्रवात, सुनामी, आदि के अधिक योग बनेंगे। इसका असर नव वर्ष २०२१ में भी फ़रवरी के माह तक दिखलाई पड़ेगा। 
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ग्रहण  में क्या करें :
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यह समय एवं यह वर्ष अनुकूल नहीं है एवं इस समय प्रभु की कृपा से बहुत कुछ आप अपने कंट्रोल में लेकर आ सकते हैं। 
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ग्रहण  काल में आप बहुत कुछ अच्छा भी कर सकते हैं। 
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  1. इस समय किए गए मानसिक जप की कई गुणा अधिक फल प्राप्ति होती है।
  2. ग्रहण  काल में किए गए दान पुण्य का फल हज़ार गुणा  अधिक मिलता है। सात अनाजा या सप्त धान्य का दान ( सात प्रकार के अनाज) का दान समस्त ग्रहों की शांति करने में सक्षम होता है , इसे किसी सफ़ाई कर्मचारी को दान अवश्य करना चाहिए। 
  3. खाने – पीने के सामग्री में तुलसी या कुश का पत्ता रखें , ऐसा करने से  खाद्य सामग्री दूषित नहीं होती। 
  4. रुद्राक्ष धारण करने के लिए यह समय अत्यंत शुभ है। 
  5. यंत्र – तंत्र- मंत्र जप का विशेष फल इस समय मिलता है। 
  6. ग्रहण  के पश्चात, समुद्री नमक से स्नान करना, आपके चारों तरफ़ की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है। 
  7.   धूनी – कपूर आदि जलनी चाहिए, यह भी ग्रहण से उपजित नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है। 
  8. रॉक -सॉल्ट लैम्प को भी जलाना चाहिए, उनसे निकालने वाली रोशनी ( नेगटिव  अयोन) आपके शरीर में सकरात्मक ऊर्जा बड़ते हैं। 
  9. ध्यान एवं मानसिक जप इस समय आपके लिए अत्यंत शुभ होता है। 
  10. ग्रहण के सटक काल से पहले एवं बाद में गंगा जल से घर पर छिड़काव करें, शुभ एवं सकरात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। 
  11. ग्रहण के पश्चात किसी सफ़ाई कर्मचारी को या फिर ग़रीब को दान अवश्य करें। 
  12. पितरों की शांति के लिए भी इस समय प्रार्थना करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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ग्रहण का असर समाज में या फिर वैश्विक स्तर पर अधिक होता है। व्यक्ति विशेष को उपरोक्त उपाय ग्रहण के समय करने चाहिए ताकि आंतरिक, मानसिक एवं भावनात्मक शुद्धीकरण रहे, चित्त शांत रहे एवं सकरात्मक ऊर्जा का मन, शरीर एवं आत्मा में संचार रहे। ऐसा हों एसे ग्रहण से सम्बंधित  प्रकोपों से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है। 
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