दीपावली के पँच दिवसीय महा पर्व की आप सभी को अनन्त शुभकामनाएँ।
कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का महा निशित काल मनाया जाता है। इस वर्ष २५ अक्टूबर २०१९ से दीपावली का महापर्व शुरू हो रहा है जो २९ अक्टूबर भाई दूज पर समाप्त होगा। इस पूरे पंचदिवसों में महा लक्ष्मी के पूजन का विधान है एवं इन्हें गणपति एवं भगवान विष्णु के साथ पूजा जाता है।
भगवान राम के रावण वध के पश्चात, १४ वर्ष के वनवास के बाद, अयोध्या वापसी के उपलक्ष्य में में भी दीप प्रज्वल्लित किए जाते हैं।
ये पंचदिवसीय महापर्व निम्न प्रकार से हैं :
१ : धन तेरस / धन त्रयोदशी : प्रातः ७:०८ से तिथि शुरू होकर पूरे दिन रहेगी।
२५ अक्टूबर को धन तेरस पड़ेगा। इस दिन धन रक्षक कुबेर देव की पूजा का विधान है। साथ ही में भगवान धनवांतरि ( जो सेहत के देवता हैं एवं समुद्र मंथन के समय अमृत के साथ प्रकट हुए थे) उनका पूजन भी किया जाता है।
इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य द्वार में दोनो तरफ़ दीप प्रज्वलित करें। पूजन स्थान पर कुबेर देवता को उत्तर दिशा पर स्थापित करें एवं भगवान गणपति, भगवान धनवांतरि, कुबेर देव, माता लक्ष्मी का स्मरण कर पूजन करें तो वर्ष भर में सुख समृद्धि बनी रहती है एवं समस्त परिवारजन की अच्छी सेहत रहती है। पूजन सामग्री में पीली वस्तुएँ जैसे पीले फूल, हल्दी, पीले चावल, पीला चंदन, लड्डू आदि भोड में अर्पित कर सकते हैं।
इस दिन स्वर्ण, आभूषण आदि ख़रीदने का विधान है एवं घर के लिए नए बर्तन आदि भी ख़रीदे जाते हैं। आज सबूत धनिया एवं गुड को प्रसाद स्वरूप भी चडाया जाता है।
धन तेरस में पूजन समय :
प्रदोष काल : सायं ५:३९ से रात्रि ८:१४ मिनट तक।
वृषभ काल ( स्थिर मुहूर्त) : सायं ६:५१ से रात्रि ८:४७ तक
निम्न मंत्रों का १०८ बार अवश्य करें जप :
” ॐ धनवांतराय नमः ” ,
“ॐ धनकुबेराय नमः” / “ॐ वित्तेश्वराय नमः “
“ॐ श्रीं श्रिये नमः “
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धनवंतरि त्रयोदशी, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है।
यम दीपम : इसी दिन असामयिक मृत्यु से बचने के लिए यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।
घर में मुख्य द्वार पर यमराज के नाम का एक दीप अवश्य जलाएँ। उसमें एक सिक्का, कौड़ी, हल्दी, गोमती चक्र डाल कर दीप प्रज्वल्लित करें।
आभूषण ख़रीदने का शुभ चौघड़िया :
प्रातः ७:५५ से प्रातः १० :४२ तक
दोपहर १२:०५ मिनट से १३:२८ तक ;
साँय काल : ४ : १५ से १७:३८ तक
रात्रि २०:५२ से २२:२९ तक
२ : नरक चतुर्दशी / छोटी दीपावली :
२६ अक्टूबर को नरक चतुर्दसी, रूप चौदस या छोटी दीपावली मनाई जाएगी।
पौराणिक कथा :
इस दिन श्री कृष्ण ने नर्कसुर का वध कर सभी को उसके द्वारा किए गए नरक स्वरूप पापों से मुक्ति दिलवायी थी। नरकासुर ने १६००० युवतियों को अपने अधीन बंदी बना कर रखा था जिन्हें श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर मुक्त किया। उनसे औपचारिक विवाह कर उन्हें समाज में सम्मान की स्तिथी दिलायी।
इसी उपलक्ष्य में इस दिन दीप दान की विशेष परम्परा है।
आज रात्रि को यमराज के अलावा श्री काल भैरव की भी पूजा की जाती है। काल भैरव, शिव जी का रौद्र स्वरूप हैं। समस्त काशी इन्हें के अधीन है। घर में दीप प्रज्वल्लित कर सभी देवी देवताओं का आहवाहन कर पूजन करें। शिव जी पर चवाल की खीर भी अर्पित करें।
३ : दीपावली महा रात्रि : २७ अक्टूबर
अमावस्या तिथि आरंभ- 12:23 (27 अक्तूबर) ,,,,,, अमावस्या तिथि समाप्त- प्रातः 09:08 (28 अक्तूबर)
दीपावली के महापर्व की मुख्य रात्रि २७ अक्टूबर की रात्रि को मनायी जाएगी। यह दिन समस्त विघ्नों को दूर करने वाली रात्रि है एवं माता लक्ष्मी का विधिवत पूजन करने से जीवन में अष्ट लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं पूरे वर्ष भर में घर परिवार में सुख समृद्धि बनी रहेगी।
रात्रि के महा निशित काल में माता लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। उनके नाम का हवन करना एवं मंत्रों द्वारा विधिवत जप करने से माता लक्ष्मी की कृपा समस्त परिवार में बनी रहती है। गणपति एवं माता लक्ष्मी के साथ श्री हरी विष्णु जी, माँ सरस्वती, माँ काली, हनुमान जी एवं शिब जी के पूजन का भी विधान है।
पूजन मुहूर्त :
संध्या पूजन मुहूर्त : 18:42 से 20:11
प्रदोष काल- सायं 17:36 से रात्रि 20:11 , स्थिर काल (वृषभ काल) – सायं 18:42 से रात्रि 20:37 तक
महा निशित काल लक्ष्मी पूजन : अर्धरात्रि 23:39 – 24:31 ( 00:52 min)
सिंह लग्न – 25:12 से 27:30 तक।
४ : गोवर्धन पूजन : २८ अक्टूबर
दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजन होता है। इस दिन भगवान कृष्ण का इंद्र देव पर विजय के उपलक्ष्य में पूजन किया जाता है।
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजन भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ = २८/अक्टूबर/२०१९ को ०९:०८ बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त = २९/अक्टूबर/२०१९ को ०६:१३ बजे
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त = १५:२३ से १७:३६
भगवान विष्णु की राजा बाली पर विजय उनके वामन अवतार द्वारा हुई थी। इसके पश्चात बाली को पाताल लोक में वास करना पड़ा था। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।
इसी दिन अमूमन गुजराती नव वर्ष भी पड़ता है।
५ : भाई दूज : २९ अक्टूबर
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है| इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है|
पौराणिक कथा अनुसार यमराज ने अपने बहन यमुना को वचन दिया था कि जो भी भाई इस दिन अपने बहन के घर जा कर भोजन ग्रहण करेगा वह उनके संरक्षण में रहेगा एवं उसकी आकाल मृत्यु कभी नहि होगी। यह पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है ।
भाई दूज तिलक मुहूर्त – 13:31 से 15:48 बजे तक (29 अक्टूबर 2019)
एक और पौराणिक कथा अनुसार, श्री कृष्ण नरकासुर का वध कर इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीय को द्वारका पहुँचे, इसी उपलक्ष्य में उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें तिलक लगा, फूल छड़ा कर, आरती कर, कर उनका स्वागत किया। तभी से इस दिन भाई के मस्तक में तिलक लगाने की प्रथा चली है।
दीपावली में और भी कई निवारण आदि किए जाते हैं। आप हमारे youtube channel में उनसे समबंधित विडीओ देख सकते हैं, जो आपके घर में सुख समृद्धि, यश वैभव लेकर आएँगे।
आपके एवं आपके परिवार पर माता लक्ष्मी एवं गणपति की विशेष कृपा बरसे एवं जीवन में सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो।
नन्दिता पाण्डेय – ज्योतिषाचर्या
#9312711293
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