नव संवत्सर २०७८
( कैसा रहेगा नव संवत्सर २०७८ , कहाँ से प्राप्त होगा सुख, कहाँ बरतें सावधानी !! )
१३ अप्रैल को चैत्र प्रतिपदा के साथ ही नवसंवत्सर २०७८ की शुरुआत भी होगी जो हिंदू धर्म में नए वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इस वर्ष प्रतिपदा मंगलवार को पड़ने की वजह से इस वर्ष के राजा मंगल रहेंगे एवं इस वर्ष के मंत्री भी मंगल ही चुने गए हैं। यह पर ख़ास ध्यान देने वाली बात ये भी है की पिछले वर्ष पड़ने वाले ‘प्रमादी’ संवत्सर के पश्चात क्रम संख्या अनुसार ‘आनंद’ नामक संवत्सर पड़ना चाहिए था लेकिन प्रमादी संवत्सर पूर्ण ना होने की वजह से ‘आनंद’ नामक संवत्सर संक्षिप्त रूप में कुछ दोनो के लिए रहा एवं इसे इसीलिए विलुप्त संवत्सर मान कर अब १३ अप्रैल से शुरू होने वाला संवत्सर, ‘राक्षस’ नामक संवत्सर माना जाएगा।
इस नव संवत्सर का क्या रहेगा आने वाले वर्ष में असर , इसका निम्न ब्लॉग द्वारा विश्लेषण किया गया है। हालांकि यह भी सत्य है की पिछले नव संवत्सर के ब्लॉग में जो भी लिखा वह अभी तक सोलह आने सत्य साबित हुआ चाहे फिर कोरोना जैसी महामारी हो या फिर जनमानस का गवर्न्मेंट/ सरकार के साथ विरोध ( किसान आंदोलन) , इन दोनो ही विषय की भविष्यवाणी मैंने कई महीनों पहले कर दी थी।
पिछले ब्लॉग , TV न्यूज़ इंटरव्यू, YOUTUBE वीडियो में मैंने कई बार लिखा की कोरोना महामारी अप्रैल २०२२ से पहले खत्म नहीं होगी क्यूँकि जनवरी २०२१ से फिर से शनि एवं प्लूटो की युति हुई है जो की किसी महामारी की हमेशा से द्योतक रही है। शनि एवं प्लूटो की यह युती २९ अप्रैल २०२२ तक रहेगी। इस पूरे वर्ष में अभी कोरोना किसी ना किसी फ़ॉर्म में या किसी नए म्यूटेंट के तौर पर वैश्विक महामारी के तौर पर टिका रहेगा एवं अपना असर दिखाएगा। NEWS 18 , के नववर्ष के प्रोग्राम में भी मैंने यह बात स्पष्ट करी थी की, भारत में बनाई गयी वैक्सीन काफ़ी कारगर सिद्ध होगी एवं भारत इस सम्बंध में विश्व में अपना नाम दर्ज करेगा।यह इस वर्ष पूर्ण रूप से साबित होता जाएगा एवं भारत का लोहा विश के अन्य देश मानेंगे।
नव संवत्सर के राजा एवं मंत्री दोनो मंगल होने की वजह से संसार में उग्रता बड़ेगी। पड़ोसी प्रदेशों के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं एवं गर्मियों में लड़ाई जैसी स्तिथियाँ भी बढ़ सकती हैं विशेषकर २ जून २०२१ से लेकर २० जुलाई तक जब मंगल अपनी नीच राशि में गोचर करेगा, यह सरकार एवं उसकी युद्ध नीति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
जमीन जायदाद से संबंधित मतभेद उग्र होते जाएंगे एवं परेशानियों का कारण भी बन सकते हैं। भूकंप, अग्निशमन, आगजनी आदि की घटनाएं बढ़ सकती हैं। अगर आपको BP या फिर डायबिटीज की परेशानी है तो अपनी सेहत पर ख़ास तौर पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
अश्विनी नक्षत्र में संवत्सर का उदय काल हो रहा है एवं चंद्रमा इस समय अस्त है। साथ ही उदय लग्न मीन बन रहा है जिसमें सूर्य के साथ बुध की युति है एवं बुद्ध अपनी नीच राशि में है। यह संयोग व्यापारियों के लिए शुभ नहीं है। इस वर्ष इकॉनमी में गिरावट आएगी एवं शेयर आदि द्वारा भारी नुकसान भी हो सकता है। शुक्र, चंद्र एवं बुध तीनों अस्त हैं ।
इस वर्ष राजा व मंत्री मंगल के पास जल प्रबंधन विभाग है , सूखे फल व मेवे शुक्र के अधीनस्थ हैं , वहीं सूर्य रसेश है।फल आदि चन्द्र के पास और धन गुरु के पास है ।
अधिकतर डिपार्टमेंट शुभ ग्रहों के पास होने से थोड़ा सा स्तिथियों पर क़ाबू भी रहेगा, वहीं शनि एकादश भाव में अपनी राशि में बैठ कर प्रबल संयोग बना रहा है एवं लाभ की स्तिथियाँ भी बना रहा है। यह कई मामलों में स्थितियों को सम्भालेगा, एवं जनमानस के फ़ायदे के लिए कुछ विधि में परिवर्तन भी लेकर आएगा। कोर्ट कचहरी के मसले इस नूतन वर्ष में प्रबल होते जाएँगे एवं कुछ कड़े नियम भी निकाले जा सकते हैं। सरकार एवं कोर्ट में मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं एवं विधि एवं कोर्ट इस वर्ष सरकार पर अधिक हावी रहेगी।
मेहनत करने वालों के लिए, नौकरी पेशा लोगों के लिए या फिर मजदूरों के लिए भी यह वर्ष कुछ बेहतर स्थितियां लेकर आ सकता है।लेकिन यह स्तिथियाँ ११ अक्टूबर के पश्चात जब शनि अपनी वक्र गति से बाहर आएँगे तब अधिक दिखाई देगी।
शनि वायुमंडल, हवाई जहाज, रॉकेट , सैटलायट आदि में तेजी लेकर आएगा एवं इस संबंध में नए आविष्कार भी हो सकते हैं। सौर मंडल पर नए उपग्रह भेजे जा सकते हैं या ब्रह्मांड से संबंधित नए आविष्कार भी हो सकते हैं। लोहा, ऑटो मोबाइल, केमिकल, दवाइयाँ, नए वैक्सीन आदि में अच्छी उपलब्धि लेकर आएगा।
इस नव संवत्सर का नाम राक्षस है, राजा मंत्री दोनो मंगल है। इस वर्ष जनमानस में भी उग्रता रहेगी। नए अस्त्र शस्त्र, सेना में शामिल किए जा सकते हैं। पड़ोसी देशों के साथ भूमि विवाद बढ़ सकते हैं पर भारत इन पर विजय प्राप्त करेगा। पश्चिमी बॉर्डर पर हलचल बड़ेगी। उत्तर पश्चिमी स्थान पर भी कुछ कष्ट रहेगा, हालांकि इस तरफ़ उन्नति के लिए कुछ नयी योजनाओं का समागम भी होगा।
चीन के साथ लद्दाख में भूमि विवाद सुलझेंगे लेकिन नॉर्थ ईस्ट की तरफ़ ये विवाद बढ़ सकते हैं। भारत की दक्षिण उत्तर दिशा में स्थित प्रदेश एवं समुद्र स्थल पर कुछ प्राकृतिक घटनाओं द्वारा प्रतिकूल स्तिथियाँ बढ़ सकती हैं।
इस वर्ष सरकार द्वारा विद्या से संबंधित कुछ नए प्रयोग किए जा सकते हैं या फिर एजुकेशन की तरफ़ विशेष ध्यान दे कर नए नियम भी बनाए जा सकते हैं।
खेती बाड़ी में वृद्धि होगी, हालांकि गर्मियों में आगजनी या फिर सूखा पड़ सकता है। एग्रीकल्चर की तरफ़ ख़ास ध्यान दिया जाएगा। धातु में तेजी आएगी एवं रस वाले फलों का ज़ोर रहेगा।
नव संवत्सर में राहू एवं केतु काल सर्प की स्तिथी बना रहे हैं जो की वर्ष में कई अवरोधों का सूचक है। मंगल एवं राहू की युति, दो समुदायों के मध्य आपसी वाद विवाद की स्तिथियाँ बड़ा सकती हैं एवं जनमानस में आक्रोश बड़ेगा।
बुध के नीच के होने से टेक्नॉलजी एवं व्यापार में ढिलाई आएगी या फिर कष्ट बड़ेगा। मोबाइल, कम्प्यूटर, सैटलायट आदि में हैकर्ज़ द्वारा कुछ सेंध मारी जा सकती है। महंगाई भी बड़ सकती है।
कुल मिला कर देखें तो यह संवत्सर मिला जुला असर लेकर आएगा एवं खट्टे मीठे अनुभव देगा। शनि की प्रबल स्तिथी जहां इस संवत्सर को सपोर्ट करेगी वहीं अन्य स्तिथियाँ वर्ष को नाज़ुक बना कर रखेंगी।
इस वर्ष होने वाले ग्रहण का भारत में असर कम रहेगा एवं उत्तर पूर्व स्थान एवं दक्षिणी पूर्व स्थान पर अधिक रहेगा जिस वजह से इन स्थानों पर कुछ बॉर्डर हलचल हो सकती है या विरोधाभास हो सकता है। प्राकृतिक आपदाएँ भी इस तरफ़ अधिक रहेंगी।
सिक्किम, म्यानमार / बर्मा, बांग्लादेश, चीन आदि के साथ या उन पर कष्ट अधिक बड़ सकते हैं।
नवसंवत्सर का महत्व :
# इसी दिन से ब्रह्मा जी ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की थी।
# भगवान विष्णु का मत्स्यावतार भी इसी दिन हुआ था।
# सतयुग का प्रारम्भ भी इसी दिन से शुरू हुआ था।
# सम्राट विक्रमादित्य का विदेशी शकों को पराजित कर , सम्राट की उपाधि प्राप्त करने के उपलक्ष्य में एक विजय नाद के रूप में नव वर्ष कि शुरुआत की इसी दिन से घोषणा हुई। उन्ही के नाम से विक्रम संवत्सर शुरू हुआ।
# विक्रम संवत्सर आकाशीय गंगा, विभिन्न नक्षत्रों, ग्रहों, चंद्रमा के गोचर पर आधारित है एवं ग्रेगोरीयन कैलेंडर से कहीं अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपक्व माना जाता है।
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