गोमती चक्र गुजरात में गोमती नदी में ज़्यादातर पाया जाता है और इसे भगवान् कृष्ण के चक्र का चिह्न भी माना जाता है। इसकी मान्यता वैदिक और तांत्रिक पूजन दोनों में ही मानी गयी है। दिखने में छोटा सा गोलाकार ये शंख रूपी पत्थर एक तरफ से सपाट और दूसरी तरफ से गोलाई में उठा हुआ होता है। इसकी सपाट सतह पर एक स्पाइरल (कुण्डलीकृत) सा आकर बना रहता है। इस स्पाइरल के चिह्न की वजह से इसकी महत्त्वता और अधिक बढ़ जाती है।
स्पाइरल का चिह्न, फिबोनैकी(Fibonacci) नंबर , या फिर यूँ कहिये कि गोल्डन रेश्यो – “phi” – अर्थार्थ Golden Consciousness (स्वर्णिम चेतना) का भी प्रतीक माना जाता है. ग्रीक और पगान माइथोलॉजी में भी इन सिम्बल्स अत्यंत मान्यता है और इन्हे पूजा जाता रहा है।
यह घुमावदार चिह्न (स्पाइरल ) वृद्धि एवं उत्पादन का भी प्रतिक है! संसार की प्रजनन शक्ति को भी इसी स्पाइरल द्वारा इंकित किया जाता है। उदहारण स्वरुप , जैसे कि हमारे DNA का शेप , या फिर पेड़ के तने में बने हुए चिह्न , ये सब संसार में प्रोडक्टिविटी और ग्रोथ के ही तो कारक है।
ऐसा माना जाता है कि विष्णु चक्र रूपित ये गोमती चक्र जिसके पास भी हो उसके पास माँ लक्ष्मी का हमेशा वास रहता है। आखिर चंचला भगवान विष्णु जी की भार्या हैं और उन्ही के पास जा कर ही स्थिर होती हैं।
गोमती चक्र समुद्र प्रदत्त दुर्लभ एंव चामत्कारिक वस्तु है और इसकेप्रयोग अन्य प्रयोगों की भाँति कठिन अथवा दुष्कर भी नहीं हैं। सांसारिक कृत्यों में , मनोकामनाओं को पूर्ण करने में अचूक, परन्तु बड़े ही सरल एवं प्रभावकारी प्रयोग गोमतीचक्र के होते है।
इन्हे धार्मिक कार्यों में , अनुष्ठानो में और यंत्र रूप में भी पूजित किया जाता है। सबसे पहले ,गोमती चक्रों को पंचामृत से स्नान करा कर , गंगाजल से स्नान कराएं , उसके पश्चात उन्हें चन्दन से और धूप -अगरबत्ती से पूजित करें।
गोमती चक्र के कुछ ऐसे ही अचूक उपाय निम्लिखित वर्णित हैं, इन्हे आप विशेषकर दीपावली के पाँच दिनों में अन्यथा किसी भी शुभ मुहूर्त , दिन में कर सकते हैं :
समृद्धि के लिए : 1. दीपवाली के दिन महालक्ष्मी पूजन के समय आठ गोमतीचक्र, आठ कौड़ी एंव आठ लाल गुंजा साथ लेकर उनका पुजन करें। उन्हें दक्षिणावर्ती शंख में थोड़े से चावल डालकर स्थापित कर दें। रात्रि में ही उन्हें लाल कपडे में बाँकर घर अथवा व्यवसाय स्थल की तिजोरी में स्थापित कर दें। आपकी आय में वृद्धि ही वृद्धि होगी।
गर्भपात रोकने के लिए :
दीपावली की महानिशा में जब स्थिर लग्न हो , माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए एक गोमती चक्र एवं दो कौडी एक लाल कपड़े में बांधकर गर्भवती महिला की कमर में बांध दें। ऐसा करने से गर्भ गिरने की आशंका नहीं रहती है।
गृह शांति के लिए :
यदि आप गृह क्लेश से पीडित है और घर में सुख शांति दूर हो गई है, तो आपको किसी भी शुभ शुक्रवार के दिन संध्या केवक़्त देवी माँ का पूजन गोमती चक्र के साथ करें। इसकेपश्चात दो गोमती चक्र लेकर एक डिब्बी में पहले सिन्दूर रखकर उसके ऊपर रख देना चाहिए और उस डिब्बी को किसी एकांत स्थान पर रख दें। यह प्रयोग घर में किसी अन्य सदस्य को भी नहीं बताएँ, ऐसा करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
अच्छी सेहत के लिए :
यदि बीमार ठीक नहीं हो पा रहा हो अथवा दवाइयाँ उसपर असर नहीं कर रहीं हों , तो दीपावली के अवसर पर या फिर किसीभी शुभ मुहूर्त वाले शनिवार की रात्रि को उसके सिरहाने पाँच गोमती चक्र मंत्र से अभिमंत्रित करके रख दें । ऐसा करने से रोगी को शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ होगा।
व्यापार वृद्धि के लिए :
बड़ी दीपावली के दूसरे दिन प्रातः काल गोमती चक्र को लाल वस्त्र मेंबाँधकर यदि दुकान की चौखट पर बांध दिया जाए, तो इससे व्यवसाय में वृद्धि होती हैं। साथ ही व्यवसाय में बाधा के लिए किए गए दूसरों द्वारा द्वेष युक्त अभिचार कर्म भी सफल नहीं हो पाते।
वास्तु दोष निवारण के लिए :
धनतेरस की रात्रि को 11 गोमती चक्र को मकान कि नींव में गाड़ देने से घर का वास्तु दोष ख़त्म हो जाता है और घर में सुखऔर समृद्धि रहती है। आप इसे अंदर किसी गमले में भी गाड़ सकते हैं।
गोमती चक्र समुद्र प्रदत्त दुर्लभ एंव चामत्कारिक वस्तु है और इसकेप्रयोग अन्य प्रयोगों की भाँति कठिन अथवा दुष्कर भी नहीं हैं। सांसारिक कृत्यों में , मनोकामनाओं को पूर्ण करने में अचूक, परन्तु बड़े ही सरल एवं प्रभावकारी प्रयोग गोमतीचक्र के होते है। श्रद्धा से किये हुए कोई भी उपरोक्त उपाय आपको अवश्य ही मनवांछित फल देंगे।
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