बसंत पंचमी एवं सरस्वती पूजन की आप सभी को अनंत शुभकामनाएँ ..!!
इस वर्ष वसंत पंचमी ५ फ़रवरी को पड़ेगी।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पंचमी तिथि ५ फ़रवरी को प्रातः काल ३:४७ मिनट से शुरू हो रही है एवं ६ फ़रवरी को प्रातः काल ३:४६ तक रहेगी। उदया तिथि ५ फ़रवरी को होने से बसंत पंचमी का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।
यह तिथि गुप्त नवरात्रि की पंचमी तिथि होती है एवं देवी सरस्वती के पूजन के अलावा इस दिन भगवान नारायण की एवं काम देव एवं रति की भी पूजा की जाती है। इस दिन घर में परिवार के सदस्य पीले वस्त्र धारण करते हैं एवं ज्ञान की अधिष्ठात्री माता सरस्वती का पूजन करते हैं। बसंत पंचमी को “श्री पंचमी” या ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक महत्व :
माता सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के मुख से हुआ था। उनको ज्ञान, चेतना एवं वाणी की देवी माना जाता है, इन्होंने ही ब्रह्मांड में सुर की रचना की एवं इसीलए इन्हें वाणी एवं संगीत की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है।
भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया था कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन आपका प्रादुर्भाव हुआ है एवं आपकी चेतना से पूरे ब्रह्मांड की चेतना जागृत हुई है, आपकी वीणा से स्वर एवं संगीत आज के दिन से उत्पादित हुए हैं, इसीलिए पूरे विश्व में आज के दिन आपकी पूजा होगी।
ऋग वेद में उनका वर्णन एक ऋचा द्वारा किया गया है जिसमें उन्हें चेतना की देवी कहा गया है। वह हमारी बुद्धी, ज्ञान, मनोवृति की देवी है एवं उनका संचालन करती हैं।
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माँ के विभिन्न नाम :
माँ सरस्वती को वागिश्वरी, वीणावादिनी, शारदा, श्वेतांबरा, वागदेवी, भगवती आदि नामों से भी पूजन किया जाता है।
विशेष मुहूर्त :
बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है यानी की आप कोई भी नया काम बिना मुहूर्त देखे शुरू कर सकते हैं । ५ फ़रवरी को बसंत पंचमी के साथ विवाह का मुहूर्त भी है।
बसंत पंचमी के दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है यानी की इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे कर सकते हैं। वसंत पंचमी का दिन विद्या आरम्भ, नवीन कार्य, यज्ञोपवीत, विवाह आदि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन राशि वालों के लिए यह वसंत पंचमी विशेषकर शुभ है।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त , सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित विस्तार से जाने :
माँ सरस्वती की आज निम्न रूप से पूजा करने से विद्या , वाणी , सुख समृद्धि सभी प्राप्त होती है .
वसंत पंचमी पूजन मुहूर्त : प्रातः ७:०७ मिनट – दोपहर १२:३५ मिनट तक ( ५ फ़रवरी)
सर्वप्रथम , प्रातः काल शुद्ध होकर, पीले या सफ़ेद वस्त्र धारण करें, फिर गणपति का आवाहन , उसके पश्चात नवग्रहों का , तथा उसके पश्चात कलश स्थापन कर वरुण आदि देवताओं का आवाहन करें ।आज के दिन हल्दी में रंग कर बच्चों को पीले रुमाल भी दिए जाते हैं।
कलश स्थापित करने के लिए , एक कलश / लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें। कलश के गले में मौली लपेटें। नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करे।
एक शुद्ध स्थान में पीले आसन में मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर , स्वयं पूर्व मुखी या उत्तर मुखी होकर, माँ का षोडशोपचार द्वारा स्नान , धूप-दीप, गुगुल , नैवैद्य द्वारा पूजन करें ।
देवी को पीले फूल , श्वेत चंदन, अर्पित करें, दूध से बनी केसर युक्त सफ़ेद मिठाई या खीर , दही – मिश्री, मीठे पीले चावल प्रसाद के रूप में अर्पित करें । देवी को आज के दिन मीठे पीले चवाल भी नैवैद्य के रूप में चड़ाए जाते हैं।
विद्यार्थी गण को माता सरस्वती का विशेषकर पूजन आज के दिन करना चाहिए, आप अपनी किताबों पर चंदन का टीका लगाएँ , पीले/ सफ़ेद फूल चड़ाएँ . माँ का स्मरण करें एवं उनका बीज मंत्र “ऐं ” का मन ही मन उच्चारण करें एवं माँ से प्रार्थना करें की आप पर उनकी कृपा रहे।
एक पीले फूल को चंदन में डुबो कर माँ के चरणो में रखें एवं पूजन के पश्चात इसे अपने माथे , कण्ठ , एवं नाभि पर लगाएँ , माँ की कृपा से ज्ञान , बुद्धि , समृद्धि , वाणी , विद्या का वास रहेगा ।
माँ सरस्वती का कुछ मंत्र निम्न है:
माँ के बीज मंत्र या किसी भी सरस्वती मंत्र का नियमित जाप करने से स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है, बुद्धि बड़ती है , उनके मंत्र के जप से जातक अज्ञान से ज्ञान के मार्ग की तरफ़ प्रशस्त होता है।
आप निम्न मंत्र का जप भी बुद्धि/विद्या एवं ज्ञान अर्जित करने के लिए कर सकते हैं।
“सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥”
बीज मंत्र : “ऐं”
मूल मंत्र : “ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः।”
संपूर्ण सरस्वती मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।”
आप किसी भी मंत्र का १०८ बार जप अवश्य करें .
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मूर्ति विसर्जन:
माँ की मूर्ति पंचमी को स्थापित की जाती है एवं षष्ठी तिथि को उनको विसर्जित किया जाता है।
६ फ़रवरी को प्रातः काल ३:४६ मिनट से षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी तो मूर्ति विसर्जन ६ फ़रवरी की संध्या काल में किया जा सकता है।
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नन्दिता पाण्डेय (ज्योतिषाचार्या)
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