अक्षय तृतीया
(१८ अप्रैल २०१८)
अक्षय तृतीया या अक्खा तीज बैसाख मास के शुक्ल अक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है यानी की इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य बिना कोई मुहूर्त देखे कर सकते हैं। पूरे वर्ष में जिन साड़े तीन तिथियों को शुभ माना जाता है उनमे से अक्षय तृतीया भी एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन कोई भी शुभकार्य करने से वह अक्षय फल देते हैं , अक्षय मतलब जिसका कोई भी क्षय ना हो।
इस वर्ष अक्षय तृतीया २०१८ को पड़ रही है। तिथि की शुरुआत प्रातः ३:४५ से लेकर १९ को प्रातः १:29 तक रहेगी। यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस पूरे दिन सरवर्थसिद्धयोग बन रहा है।यह प्रातः काल ४:४७ से लेकर १९ अप्रैल की प्रातः ३:०३ तक रहेगा।
अक्षय तृतीया पूजन मुहूर्त : प्रातः ५:५६ – १२:२०
स्वर्ण या आभूषण ख़रीदने का शुभ चौघड़िया मुहूर्त :
प्रातः काल (लाभ, अमृत) ~ 05:57am – 09:09am
प्रातः काल ( शुभ चौघड़िया) ~ 10:45 am – 12:21pm
दोपहर मुहूर्त ( चर, लाभ चौघड़िया ) ~ 15:33 – 18:45
संध्या काल मुहूर्त (शुभ, लाभ, चर) ~ 20:08 – 24:20+
सुख एवं समृद्धि प्रदान करने वाले इस दिन पर माता लक्ष्मी एवं नारायण के पूजन का विशेष विधान है। माना जाता है की इस दिन स्वर्ण ख़रीदने से या फिर चाँदी या बर्तन ख़रीद ने से माता लक्ष्मी का वास रहता है, घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है।माँ लक्ष्मी को चंचला माना गया है एवं इस दिन उनका पूजन यदि नारायण के साथ कीया जाए या फिर गणपति के साथ किया जाए तो वह स्थिर रहती हैं एवं घर में स्थायीवास करती हैं।
अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभकार्य जैसे घर ख़रीदना, सोना-चाँदी या कोई ज़ेवर ख़रीदना, वाहन ख़रीदना, कोई नया प्रोजेक्ट या बिज़्नेस शुरू करना, लेखन कार्य प्रारम्भ करना बहुत शुभ माना गया है।
अक्षय तृतीया का पौराणिक महत्व:
माना जाता है की अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्मा जयंती भी होती है क्योंकि उन्होंने इस दिन से ही सृष्टि का निर्माण शुरू किया था। इसी दिन से सभी युगों की शुरुआत भी मानी जाती है । वेदव्यास के अनुरोध पर भगवान गणपति ने वेदों का लेखन कार्य भी आज ही के दिन से शुरू किया था। भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म भी इसी दिन माना गया है। ऐसा भी कहा जाता है की वह अमर हैं एवं संसार में वह अभी भी तपस्या में लीन हैं।
अक्षयतृत्या के दिन ही माता गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। आज ही के दिन भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया था, एक ऐसा पात्र जिसमें अन्न कभी ख़त्म नहीं होता था।
इस दिन बद्रीनारायण के पट खुलते हैं, बाँके बिहारी के चरणों के दर्शन भी आज ही के दिन किए जाते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन कौन से कार्य करना शुभ होता है:
अक्षय तृतीया के दिन, आप को माता लक्ष्मी की भगवान विष्णु के साथ विशेष पूजन करना चाहिए। चक्रधारी भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की अष्टदसभुजाधारी रूप का विशेष पूजन करना चाहिए। नारायण को हल्दी की गाँठ, पीले वस्त्र एवं ७ बादाम अर्पण करें, माता लक्ष्मी को सुहाग का समान , सिंदूर, चूड़ी आदि अर्पित करें एवं नैवैद्य आदि अर्पित कर पूर्ण समर्पण से उनका ध्यान कर आहवाहन करें ।
लक्ष्मी सूक्त का एवं पुरुष सूक्त का पाठ अवश्य करें। जीवन में सुख एवं शांति अवश्य मिलेगी एवं घर बार सुख समृद्धि बनी रहेगी।
दस महाविद्याओं का पूजन भी विशेष फल देता है।उस में भी माँ के कमला देवी रूप का पूजन अवश्य करना चाहिए। वह कमल के फूल पर बैठी हैं एवं उनके चारों तरफ़ धन वर्ष हो रही है । माँ के हाथ में कमंडल है जो सुख समृद्धिदायनी है।
पितरों के नाम दान पुण्य करना, उनका श्राद्ध करना, तर्पण करना बहुत शुभ होता है।
आज के दिन विवाह करना विशेषकर शुभ होता है एवं माना जाता है की आज के दिन अगर विवाह करेंगे तो वह हमेशा प्रेम एवं आपसी सम्मान से युक्त रहता है।
आज के दिन घर ख़रीदना, गृह प्रवेश करना, वाहन आदि ख़रीदना, नए व्यापार शुरू करना बहुत ही शुभ होता।
आज के दिन लक्ष्मी उपनिषद का पाठ करना बहुत शुभ होता है। आज के दिन तुलसी माँ का पूजन भी करना चाहिए, एवं उनके समक्ष भी दीपक प्रज्वल्लित करें ।
आज आप को विशेषकर चने की दाल, सत्तू , शक्कर, घी, ककड़ी का दान करना चाहिए।
साँय काल को दीपक प्रज्वलित किस दिशा में करें :
साँय काल में घर के मुख्य द्वार में माता लक्ष्मी का स्मरण कर एक घी का दिया घर की चौखट के दायीं तरफ़ प्रज्वलित करें। उस दिए में एक कौड़ी, एक गोमती चक्र, काले तिल अवश्य डाले, आने वाले पूरे वर्ष में कोई परेशानी नहीं होगी।
~ नन्दिता पाण्डेय,
ऐस्ट्रोटैरोलोजर, ज्योतिर्विद, आध्यात्मिक गुरु
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