Pradosh Vrat : 14 March 2018
हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है । कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है । ऐसा माना जाता है की जो एक वर्ष तक इस व्रत को कर ले तो उसके समस्त पाप धूल जाते हैं एवं चारों धामों के दर्शन का पुण्य मिलता है ।
प्रदोष काल में इस व्रत की आरती एवं पूजा होती है । संध्या के समय जब सूर्य अस्त हो रहा होता है एवं रात्रि का आगमन हो रहा होता है उस प्रहार को प्रदोष काल कहा जाता है ।
त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में पूजन का विशेष महत्व है । ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिव लिंग पर अवतरित होते हैं और इसीलिए इस वक़्त उनका स्मरण कर, उनका आवाहन कर के पूजन किया जाए तो सर्वोत्तम फल मिलता है ।
गुरुवरा प्रदोष के व्रत का महत्व :
१४ मार्च को गुरुवार पड़ रहा है एवं गुरुवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को गुरुवरा त्रयोदशी के नाम से भी पुकारा जाता है । पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन विशेषकर पूजन किया जाता है । अगर आप बेवजह की ऑफ़िस पॉलिटिक्स से प्रभावित हैं , या फिर आपके विरोधी आप पर हावी हो जाते हैं , बिना बात की अफ़वाहों से परेशान हो जाते हों , तो शत्रु हनन के लिए भी इस दिन का व्रत अवश्य करें , ज़िन्दगी के समस्त अवरोधों से आपको मुक्ति मिलेगी ।
त्रयोदशी तिथि के दिन , समस्त १२ ज्योतिर्लिंगों में बहुत शोभनिय तरीक़े से भगवान का आरती एवं पूजन होता है ।
आप घर में रह कर भी प्रदोष काल में शिव परिवार का पूजन अरचन कर सकते हैं ।
व्रत की विधि :
प्रातः काल उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर , भगवान भोलेनाथ का उनके परिवार के साथ स्मरण करें । इस दिन का व्रत निर्जला व्रत होता है । दिन भर व्रत रख कर संध्या के समय, प्रदोष काल शुरू हों एसे पहले फिर से स्नान कर शुद्ध होएँ एवं सफ़ेद वस्त्र या फिर सफ़ेद आसान पर बैठ कर पूजा करनी चाहिए ।
एक छोटा सा मंडप बना कर शिव परिवार स्थापित परें ।एक कलश में जल भर कर आम की पत्तियों उसमे डाल कर एक जटा वाला नारियल उस पर रखें । गणपति का आवहन करें फिर सममस्त देवी देवताओं को पूजा में आने का निमंत्रण दें , तद् पश्चात भगवान भोलेनाथ का आवहन माता पार्वती के साथ करें । भोलेनाथ को पंचामृत का स्नान कराएँ , फिर गंगाजल से स्नान कराएँ । धूप दीप , चंदन- रोलि, अक्षत , सफ़ेद पुश अर्पित करें । फिर आम की लकड़ी से हवन करें । हवन की आहुति , चावल की खीर से करें , आपकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण अवश्य होंगी ।
उनका स्मरण कर थोड़ी देर ध्यान अवस्था में बैठ जाएँ या फिर महामृत्युंजय का १०८ बार जप करें । प्रदोष व्रत की कथा पड़ कर आरती करें ।
वैसे तो हर महीने दो त्रयोदशी आती हैं , कभी कभी खाल मास की वजह से दो और आ जाती हैं । अलग अलग दिन पड़ने वाली त्रयोदशी को अलग नामों से पुकारा जाता है ।
➢ सोमवार को पड़ने वाली त्रयोदशी बहुत शुभ मानी जाती है एवं इसे सोम प्रदोष / त्रयोदशी बोला जाता है । इस दिन का व्रत रखने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है ।
➢ मंगलवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को अंगरकि त्रयोदशी या भौम प्रदोष / त्रयोदशी बोला जाता है । इस दिन व्रत उपवास रखने से सेहत से सम्बंधित परेशानियों से मुक्ति मिलती है ।
➢ बुद्धवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को सौम्यवारा प्रदोष भी बोला जाता है । ज्ञान प्राप्ति के लिए एवं तेज़ बुद्धि के लिए इस दिन उपवास अवश्य रखना चाहिए ।
➢ गुरुवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को गुरूवारा प्रदोष भी बोला जाता है । इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेषकर पूजन किया जाता है । शत्रु हनन के लिए भी इस दिन का व्रत मान्य है ।
➢ शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को भृगुवारा प्रदोष के नाम से पुकारा जाता है । धन धान्य, सुख समृद्धि को प्राप्त करने के लिए इस दिन वीशकर पूजन किया जाता है ।
➢ शनिवार को पड़ने वाली त्रयोदशी को शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है । नौकरी से सम्बंधित तकलीफ़ हो या फिर पदोन्नति चाहिए , शनि प्रदोष का व्रत आपकी इन मनोकामनाओं को अवश्य पूर्ण करेगा ।
➢ रवि वार को पड़ने वाली त्रयोदशी को भानु प्रदोष के नाम से जाना जाता है । इस दिन उपवास , पूजन आदि करने से दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है ।
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