यमुना छठ (23.03.2018)
चैत्र मास की नवरात्रि की षष्ठी तिथि को यमुना छठ या यमुना जयंती के रूप में भी मनाया जाता है । यह पर्व मथुरा में विशेषकर बहुत धूम धाम से मनाया जाता है एवं यमुना माता की झाँकियाँ पूरे शहर में निकलती हैं । हिम शिखर कालिद से उद्गम हुई यमुना को कालिन्दी भी पुकारा जाता है ।
पौराणिक कथा :
पौराणिक समय से ही सनातन धर्म में नदियों का विशेषकर स्थान माना गया है एवं उन्हें मातृस्वरूप मान कर पूजा गया है । सूर्य पुत्री यमुना तो वैसे भी यम की बहन हैं, शनि देव भी इनके अनुज हैं । ऐसा माना जाता है की इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धूल जाते हैं एवं वह मोक्ष को प्राप्त होता है । यमुना नदी का वार्न श्याम है , ऐसा भी माना जाता है की राधा कृष्ण के उनके तट पर विचरण करने से , राधा रानी के अंदर लुप्त कस्तूरी धीरे धीरे यमुना नदी में ग़लती रही एवं इसीलिए उनका रंग भी श्यामल हो गया । यमुना कृष्ण की पत्नी भी माना जाता है । एक किवदंति यह भी है की कृष्ण के प्रेम में विलय रहने की वजह से भी उनका रंग कृष्ण के रंग सम श्यामल हो गया ।
भगवान कृष्ण की पटरानी एवं सूर्य पुत्री यमुना को ब्रज में माता के रूप में पूजा जाता है । गर्ग संहिता के अनुसार , जब भगवान कृष्ण ने राधे माँ को पृथ्वी पर अवतरित होने का आग्रह किया । राधा माँ ने भी श्री कृष्ण से अनुग्रह किया की आप वृंदावन , यमुना , गोवर्धन को भी उस स्थान पर अवलोकित करिए तभी मैं इस पृथ्वी लोक पर वास कर पाऊँगी । उनके इसी आग्रह को पूर्ण कर श्री गोविन्द ने माता यमुना को इस स्थान पर अवतरित कराया ।
यमुना छठ उत्सव :
मथुरा के विश्राम घाट में इस उत्सव की विशेष तय्यारी की जाती है । संध्या के समय माता यमुना की आरती कर , उनको छप्पन भोग अर्पण किया जाता है ।
उसके पश्चात लोग धूम धाम से नृत्य , कला,आदि द्वारा इस त्योहार को मनाते हैं ।
यमुना छठ व्रत :
कई लोग इस दिन व्रत रख कर , प्रातः काल ही यमुना जी पर डुबकी लगते हैं । माना जाता है की माता यमुना इस दिन प्रसन्न होकर आपको रोग मुक्त भी करती हैं । संध्या के समय पूजन अर्चन कर , यमुना अष्टक का पाठ करते हैं । फिर यमुना जी को भोग लगा कर , दान पुण्य आदि करने के पश्चात व्रत का पारण करते हैं ।
कृष्ण के अंतिम समय में गुजरात में वास होने की वजह से यह पर्व गुजरात में भी धूम धाम से मनाया जाता है । कृष्ण प्रिया यमुना के स्मरण में गुजराती समुदाय के लोग इस दिन यमुना जी पर डुबकी लगाने गुजरात से मथुरा आते हैं । यहाँ पर्व मना कर कलश में यमुना जी का जल बाँध कर वापस अपने साथ ले जाते हैं । फिर गुजरात में उनके अपने घर , गाँव या फिर अपने स्थान में वेदिक मंत्रों द्वारा उस कलश को खोला जाता है ।
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